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ग्वालियरः नियमों का सरेआम उल्लघंन कर धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रहे वाहन

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Aug 10, 2019

धर्मेन्द्र शर्मा- इन दिनों ग्वालियर शहर के अंदर मोटर व्हीकल एक्ट उल्लंघन को खुलेआम आसानी से देखा जा सकता है. जबकि जिले का परिवहन एवं ट्रैफिक पुलिस अमला दावा करता है कि इसको लेकर वह सतत कार्यवाही कर रहा है। इतना ही आरटीओ द्वारा दोपहिया एवं चार पहिया वाहनों के लिए जारी किए गए आदेश का शहर में खूब माखौल बन रहा है। आदेश के अनुसार वाहनों के वास्तविक रूप के साथ छेड़छाड़ करने अर्थात् वाहनों को मॉडिफाई करने की स्थिति में कार्रवाई का प्रावधान किया गया है, लेकिन शहर के अंदर कार्रवाई के नाम पर महज कुछ दोपहिया वाहनों पर पुलिस द्वारा कार्रवाई की जा रही है। वहीं परिवहन अमला बल संख्या कम होने की समस्या के चलते खुद को लाचार बता रहा है।

पुलिस और प्रशासन कार्रवाई करने में नाकाम

सबसे मुख्य बात यह है कि शहर में जिन दुकानों पर वाहनों के मॉडिफिकेशन पर एलईडी लाइट और तेज आवाज करने वाले साइलेंसर और प्रेशर हॉर्न को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। वहाँ भी पुलिस और प्रशासन कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहा है। कहा तो जाता है कि आरटीओ और पुलिस मिलकर शहर के अंदर जारी नियमों के माखौल पर कसावट लाएंगे। लेकिन शहर में जो दिखता है वह कही गई बात से कुछ और ही परे नजर आता है। जमीनी स्तर पर प्रतिदिन कार्यवाही को सफल बताया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

बंपर गार्ड की बिक्री करने वालों व लगवाने वालों पर रोक लगा दी गई

आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश व मोटर व्हीकल एक्ट की स्पष्ट गाइडलाइन को पूरा करने के लिए परिवहन विभाग पूर्व में ही आदेश जारी कर चुका है कि दो पहिया व चार पहिया वाहन के मूल रूप में बदलाव नहीं किया जा सकेगा। बदलाव किए जाने पर विभाग द्वारा कार्यवाही कर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन व चालक का लाइसेंस निरस्तीकरण तक की कार्यवाही की जाएगी। इतना ही नहीं, आदेश के चलते कार के आगे या पीछे बंपर गार्ड की बिक्री करने वालों व लगवाने वालों पर रोक लगा दी गई है, क्योंकि एक्सीडेंट के दौरान बंपर गार्ड गाड़ी का झटका झेल जाता है और समय रहते गाड़ी के अंदर मौजूद बैलून नहीं खुलता, जिससे गाड़ी में बैठे व्यक्ति की मौत होने की संभावना 80% तक बढ़ जाती है।

दुकानदारों व आरटीओ अमले के साथ मिलकर बैठक का आयोजन करेंगे पुलिस अधीक्षक

नियमों की अवहेलना में एक मुख्य वजह शहर में धड़ल्ले से बेची जा रही दो व चार पहिया वाहन की एसेसरीज है। जबकि एसेसरीज बेचने वाले दुकानदारों को हिदायत दी जा चुकी कि निर्धारित ध्वनि मानक से अधिक ध्वनि करने वाले हॉर्न या भोंपू नही बेचेंगे। इसके साथ ही ऐसे साइलेंसर जिन से गोली की आवाज निकलती है या फिर निर्धारित मानक से ज्यादा आवाज निकलती है तो उन्हें दो पहिया वाहन में नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही मैकेनिक द्वारा लगाने व दुकानदार द्वारा बेचे जाने पर कार्यवाही का प्रावधान है लेकिन शहर में यह सब खुलेआम चल रहा है। वाहनों में निर्धारित टायरों से अधिक चौड़े टायर लगवाना, पारदर्शक क्षमता को कम करने वाली फ्रेम की बिक्री, वाहनों की हेडलाइट में तेज प्रकाश देने वाले बल्व व वाहनों के ऊपर लगाने के लिए अतिरिक्त अन्य लाइट्स की बिक्री पर लगाम लगाने में पुलिस और परिवहन अमले के लिए नाकाम साबित हो रही है। ग्वालियर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि वह ऐसे दुकानदारों के साथ आरटीओ अमले के साथ मिलकर बैठक का आयोजन कर उन्हें नियमों की जानकारी से अवगत कराएंगे। यदि उसके बावजूद भी वह अमानक गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं तो उन पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

एक्सीडेंटल डेथ के आंकड़ों में काफी वृद्धि हुई

फिलहाल शहर के अंदर यह सब अमानक गतिविधियों का खेल और नियमों को ताक पर रखना खुले बाजार में कहीं भी देखा जा सकता है। जहां आरटीओ इसके लिए आदेश जारी कर कार्यवाही की बात कह कर संतुष्ट नजर आ रहे हैं तो वहीं ग्वालियर पुलिस अधीक्षक भी महज बीते महीनों की कुछ कार्यवाहियों के आंकड़ों को सिरमौर समझ रहे है। जबकि शहर के अंदर वाहनों के मूल रूप में परिवर्तन के चलते एक्सीडेंटल डेथ के आंकड़ों में काफी वृद्धि हुई है। वहीं शहर के विभिन्न स्कूल कॉलेज एवं चिकित्सालय प्रेशर हॉर्न के चलते ध्वनि प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं।  अब देखना यह होगा कि पुलिस और परिवहन अमला अपने किए दावे के मुताबिक कार्यवाही में कितनी तेजी लाता है और कब तक नियमों की पटरी पर शहर में संचालित अमानक गतिविधि पर लगाम लग सकेगी।