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ग्रामीणों ने किया चुनाव का वहिष्कार, आजादी के बाद से नहीं है सड़क

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Jun 24, 2018

भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने बाली ग्राम पंचायत बोरपानी उमरिया में समस्या तो अनेक है या फिर यू कहे की पंचायत में सिर्फ समस्याएं ही है इस पंचायत में बेटा बेटिया सिर्फ आठवीं तक ही पढ़ पा रहे है इस पंचायत में न तो कोई इनसे बेटी लेता है और न ही कोई बहु देता है इलाज के आभाव में जच्चा बच्चा सहित कई ग्रामीणों की मौते भी हो चुकी है।

जननी एक्सप्रेस भी यहाँ तक नहीं जाती यहाँ के रहवासी अपना और अपने बच्चो का जीवन अंधकार में होने का दवा भी करते है और इन सबके पीछे वजह सिर्फ एक है इस पंचायत तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है सड़क नहीं होने से इस बोरपानी पंचायत के अंतर्गत आने वाले चार गाँवो के दो हजार ग्रामीणों का जीवन नारकीय तरीके से गुजर रहा है।

इन समस्याओ के चलते ग्रामीणों ने चुनाव का वहिष्कार कर दिया है ग्रामीणों का साफ कहना है की रोड नहीं तो वोट नहीं साथ ही ग्रामीण बताते है की चुनाव से पहले नेता आते है और सड़क बनवाने का आश्वाशन देते है लेकिन वोट लेने के बाद कभी भूलकर भी इस पंचायत में नहीं आते है और न ही कभी प्रशासन ने हमारी समस्याओ ओर परेशानियों के बारे में चिंता की जबकि ग्रामीण कई बार सड़क बनबाने के लिए नेता मंत्री सहित अधिकारियो से गुहार लगा चुके है।    

सड़क नहीं होने से कई ग्रामीणों की हो चुकी है मौत।  

राष्ट्रिय राज्यमार्ग 12 से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित बोरपानी पंचायत तक सड़क नहीं होने के कारण डिलेवरी वाली महिलाओ एवं ग्रामीणों की अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही मौत भी हो चुकी है। सड़क नहीं होने के कारण जननी एक्सप्रेस वाहन भी इस पंचायत तक नहीं पहुँचपाता।  

आठवीं तक ही पढ़ पाते है इस पंचायत के बच्चे। 

इस पंचायत में आठवीं तक ही स्कूल है और इससे आगे की पढाई करने के लिए यहाँ के बच्चो को बिनेका या औबेदुल्लागंज जाना पड़ता है लेकिन सड़क होने के कारण चार गाँवो के बच्चे अपनी आगे की पढाई नहीं करपाते है।  

इस गाँव की न कोई बेटी ले रहा है और न कोई दे रहा है।  

सड़क नहीं होने के कारण इस पंचायत में न तो कोई बेटी दे रहा है और न ही कोई अपनी बेटी दे रहा है जिसके कारण यहाँ बच्चो की शादिया भी नहीं हो पा रही है।  

बारिश के चार महीने इस पंचायत तक पहुंचने का रास्ता पूरी तरह बंद हो जाता है अगर ग्रामीणों को खाने पीने के लिए राशन और दवा गोली लेने जाना पड़ता है तो ग्रामीण पैदल ही जाते है। इस गांव से बिनेका तक पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर तक बियावान जंगल का सफर तय करना पड़ता है।