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चित्रकूटः आदिवासी इलाकों में फैला अंधविश्वास का अंधेरा, भूत उतारने के नाम पर युवक की पिटाई

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Oct 29, 2019

रामनरेश श्रीवास्तव - 21वीं सदी में वैज्ञानिक चांद पर बसेरा जमाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर विकसित भारत के आदिवासी इलाकों के लोग आज भी अंधविश्वास पर कायम हैं। आदिवासी और पिछड़े इलाके के गांवों के लोग भूत- प्रेत और जादू- टोने पर विश्वास करते हैं। इसका नमूना चित्रकूट के दीवाली मेले में आप देख सकते हैं, जहां मंदाकिनी के तट पर लगे गधों के मेले में एक युवक के सिर पर भूत सवार हो गया है। यूपी के शंकरगढ़ से चित्रकूट आए इस युवक का भूत उतारने के लिए पढ़ेरी को बुलाया गया जिसने युवक के शरीर से भूत भगाने के लिए उसे मार-मार कर पस्त कर दिया। पढेरी युवक के सिर की चोटी पकड़कर भूत से बातें करते, युवक को पीटता रहा।

मिर्गी रोग से ग्रस्त युवक पर झांड़फूंक करवाते रहे ग्रामीण

यह तमाशा अंधविश्वासी भीड़ चाव से देखती रही। पढेरी द्वारा युवक का भूत उतारने का कारनामा देखने के लिए तमाशबीनों का मजमा लग गया, जबकि युवक के बारे में बताया गया कि उसे मिर्गी रोग से बेहोशी में तड़पने की बीमारी है। किंतु भूत प्रेत जादू टोने पर लोगों का आज भी विश्वास कायम है और वहां पर जमा भीड़ के लोगों ने भूत उतारने के लिए पढेरी को बुला लिया। पढेरी ने युवक की चोटी काट ली और कई चांटे जड़ दिए। भूत को भगाने के लिए तमाम जतन करने लगा, लेकिन मिर्गी की बीमारी से ग्रसित युवक को अस्पताल नहीं ले जाया गया। जिससे साफ तौर पर जाहिर है कि आदिवासी इलाके के गांवों में लोग आज भी अंधविश्वास मानते हैं और झाड़-फूंक के सहारे लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।