Loading...
अभी-अभी:

बालाघाट जिले के स्कूल में एक शिक्षक की जिंदादिली बनी लोगों के लिए प्ररेणास्त्रोत

image

Sep 4, 2019

राज बिसेन : बालाघाट जिले के हट्टा संकुल अंतर्गत आने वाले ग्राम पाथरी के सरकारी स्कूल में पदस्थ सहायक शिक्षक के दोनों हाथ नहीं हैं फिर भी वह अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होकर बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हैं। ऐसे शिक्षक के हौसले की जितनी तारीफ की जाए कम है।

जिंदादिल इंसान बन लोगों के बने प्रेरणास्त्रोत..
हमारे समाज में आज भी ऐसे कई लोग हैं जो आर्थिक, मानसिक अथवा शारीरिक कमी के बावजूद भी जिंदादिल इंसान बन लोगों के प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। इन्हीं में से एक दिव्यांग शिक्षक हैं राकेश पन्द्रे.. जिनके दोनों हाथ नहीं है। दरअसल राकेश जब दूसरी कक्षा में पढ़ते थे तब घर की छत पर खेलते हुए हाइटेंशन विद्युत लाइन की चपेट में आ गए थे। जिसके चलते उनके दोनों हाथ कोहनी तक बेकार हो गए थे वहीं उनके चेहरे पर भी इसका असर देखा जा सकता है। उन्होंने अपने इस शारीरिक कमी को नजरअंदाज करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी और परिजनों, मित्रों के सहयोग से एम.ए. हिंदी के साथ साथ डीएड की पढ़ाई पूरी की और साल 2009 में शिक्षक बने। तब से वे ग्राम पाथरी के प्राइमरी स्कूल में बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हैं। दिव्यांग राकेश पन्द्रे ने शारीरिक कमी को चुनौती देते हुए एक तरीका ईजाद किया और दाएं हाथ में ग्लास की साइज का डब्बा फंसाकर मिटने वाले मार्कर पेन पकड़कर सफेद बोर्ड के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं। उनके टीचिंग से छात्र-छात्राएं खुश हैं, उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होती। वहीं साथ काम करने वाले शिक्षक भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते।

शिक्षक राकेश पन्द्रे के मुताबिक
शिक्षक राकेश पन्द्रे कहते हैं कि जिंदगी में निराशा पैदा करने और उत्साह बढ़ाने वाले, दोनों तरह के लोग होते हैं। कठिनाइयां हर किसी के जीवन में आती है। उनसे लड़कर आगे बढ़ने को ही जीवन कहते हैं। हमेशा सोच सकारात्मक रखें। अपनी सफलता के लिए राकेश अपने परिजनों और मित्रों को धन्यवाद देते हैं।