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आखिर कहां गए गौ रक्षक!

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Feb 20, 2018

एक तरफ पूरे हिंदुस्तान में जहां गौ माता पर सियासत गरमाई हुई है वहीं यहां का एक तबका  इनका व्यापार करने में लगे हैं ख़ास बात तो यह है कि कई महीनो से गौ शालाओं के नाम पर ज़िंदा गायों को मौत के मुंह में धकेला जा रहा है। बता दें कि भोपाल विदिशा हाइवे के बीच बने ब्रज मोहन रामकली गौ संरक्षण केंद्र में बीते दस दिनों में 70 से 80 गायों की मौत हो चुकी है वहीं सरकारी अधिकारियों की मानें तो हर दिन दो से तीन गायों की मौत होना अब गौ शाला में आम बात हो गई है।

गौरतलब है कि ग्रामीणों ने यह सूचना साँची तहसीलदार और पशुचिकित्सालय अधिकारियों को दी जिसके बाद टीम ने अचानक गौ शाला का निरिक्षण किया और बताया कि सालों से चल रही गौ शाला में हर दिन एक दो से चार गायो की मौत हो रही है साल में 2600 गाय की मौत हो चुकी है इतना ही नहीं गायों को एक गड्ढे में इकट्ठा किया जाता है। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक ग्रामीण ने कहा है कि इस गौ शाला में गाय के नाम पर काफी समय से व्यापार किया जा रहा है। इस गौ शाला में जो भी जिंदा गाय जाती है बाहर मर कर ही निकलती है। 

गौहत्या हमारे लिए इतनी बड़ी बात है कि सैकड़ों साल से हमारे पूर्वज इसे रोकने के लिए अपनी जान की बाजी लगा कर हत्या करने वालों से टकराते रहे हैं। इतिहास में सैकड़ों बार ऐसे मौके आए हैं, जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए उनके मुंह में बीफ ठूंसा है। सन 1857 में पहली क्रांति उस वक्त हुई, जब अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों को गोमांस की चर्बी वाली कारतूसों को दांत से काटने के लिए कहा था। लेकिन वहीं जब ऐसी घटनाएं आज देखने को मिल रहीं है तो सवाल यह उठता है कि अब वो रक्षक कहां गए।