Loading...
अभी-अभी:

मप्र के मतदाताओं ने उपचुनाव में दिया नोटबंदी पर अपना जनमत

image

Nov 22, 2016

भोपाल। कहा जा रहा था कि मोदी सरकार द्वारा 1000 और 500 रूपये के पुराने करंसी नोट बंद करने से आम ईमानदार आदमी परेशान और नाराज है, जिसका असर मध्यप्रदेश सहित देश भर की कुल चार लोकसभा सीटों के लिए 19 नवंबर को हुए उपचुनाव में देखने को ​मिल सकता है। कुछ लोग यह भी कह रहे थे कि इन चुनावों में जनता के रूख से तय होगा कि मोदी सरकार का कालाधन के खिलाफ उठाया गया यह सख्त कदम लोग स्वीकार करते हैं या नहीं। 

चुुनाव परिणाम सामने आने के बाद यह तय हो गया कि नोटबंदी का सबसे मुखर विरोध कर रही कांग्रेस को जनता ने मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, अरूणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में पूरी तरह नकार दिया है। चार में से दो सीटों पर भाजपा काबिज हुई और एक पर टीएमसी और एक पर सीपीएम। कांग्रेस का कहीं नामोनिशान नहीं दिखा। 

नोटबंदी के साए में मध्यप्रदेश के शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा क्षेत्रों में आज हुई मतगणना में सबसे पहले परिणाम नेपानगर से आए। यहां मंजू दादू ने 40,000 से ज्यादा मतों के अंतर से कांग्रेस के अंतर सिंह बर्डे को हराकर जीत हासिल की। वहीं, शहडोल में भी भाजपा के ज्ञान सिंह ने 60,383 मतों से कांग्रेस की हिमाद्री सिंह को हराया। इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कुल 4,81,398 मत मिले तो उनकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी को 4,21,015 मत ही हासिल हो पाए। 

अपनी जीत का श्रेय जनता को देते हुए मंजू ने कहा कि आप सभी का शुक्रिया करने के लिए पूरे दादु परिवार के पास शब्दकोष नहीं है। आप सभी ने हमारे परिवार पर जो प्रेम और आशीर्वाद बनाए रखा है वह एक मिसाल की तरह सदा मुझे एक सुखद एहसास कराता रहेगा। यह जीत मैं आप सभी से लाडले विधायक स्व. राजेन्द्र जी दादु को समर्पित करती हूं।

शहडोल लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के ज्ञान सिंह और कांग्रेस की हिमाद्री सिंह के अलावा सात निर्दलीयों सहित 15 और प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। वहीं, नेपानगर में भाजपा की मंजू दादू, कांग्रेस के अंतरसिंह के अलावा दो अन्य प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे।

शहडोल लोकसभा उपचुनाव भाजपा सांसद दलपत सिंह परस्ते के निधन के चलते हुआ है। वहीं, नेपानगर विधानसभा का उपचुनाव भाजपा विधायक राजेन्द्र दादू के निधन के कारण हुआ। यानि इन दोनो सीटों पर भाजपा ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। 

शहडोल और नेपानगर में एक बार फिर भाजपा ने कांग्रेस को पटखनी दे दी। प्रतिष्ठापूर्ण माने जा रहे शहडोल लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने इस बार 29 साल की युवा और कान्वेंट एजुकेटेड हिमाद्री सिंह को मैदान में उतार कर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश करने की कोशिश की थी पर भाजपा की एकजुटता ने इस चुनौती को धार को बोथरा कर दिया।

नेपानगर में तो कांग्रेस खुद पहले ही दिन से अपने को हारा हुआ मानकर चल रही थी पर शहडोल से उसे खासी आस थी। इन चुनावों में वह अपने लिए संजीवनी ढूंढने का प्रयास कर रही थी। कहना न होगा कि उसने हिमाद्री के रूप में प्रत्याशी भी बेहतर चुना था, चुनाव प्रचार की शुरूआत भी उसने असरदार और आक्रामक तरीके से की पर अंतिम दिनों में उसका चुनाव प्रचार जिस तरह से बिखरा वह उसके कार्यकर्ताओं को ऊर्जा नहीं दे पाया। दूसरी तरफ भाजपा का चुनाव प्रचार बेहद सधा हुआ था। चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले ही उसने मंत्रियों और संगठन के असरदार नेताओं की यहां ड्यूटी लगा दी थी। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और संगठन महमंत्री सुहास भगत लगातार कार्यकर्तओं की बैठक लेकर अपडेट लेते रहे। भगत के महामंत्री बनने के बाद यह पहला चुनाव था।

शहडोल चुनाव की शुरूआत में कांग्रेस की हिमाद्री सिंह भाजपा को कड़ी चुनौती देती दिख रही थीं पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मेहनत कांग्रेस पर भारी पड़ गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने यहां तूफानी प्रचार किया। 40 से अधिक रोड शो और पैतीस सभाएं कर उन्होंने न सिर्फ भाजपा में उत्साह का संचार किया बल्कि नोटबंदी को मुद्दा बना रही कांग्रेस के अभियान की भी हवा निकाल दी। सीएम चुनाव प्रचार थमने के अंतिम दिन तक मैदान में डटे रहे। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर नाराज नेताओं को मनाने का भी काम किया।

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री एवं मध्यप्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने शहडोल और नेपानगर में मिली जीत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कामों की जीत बताते हुए इसके लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव से एक बार फिर साबित हो गया कि जनता देश और प्रदेश के विकास को पसंद कर रही है। तोमर ने शहडोल में दो दिनों तक लगातार चुनाव प्रचार कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया था।

अनूपपुर जिले को लेकर भाजपा को चिंता ज्यादा थी। यहां की तीन सीटों में से एक ही भाजपा के पास है। गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने यहां लगातार कैंप किया और पिछले बीस दिन में वे एक दिन भी यहां से नहीं हिले। लगातार कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उन्होंने अनूपपुर में माहौल भाजपा के पक्ष में कर दिया।

भाजपा को सबसे ज्यादा चिंता पुष्पराजगढ़ विधानसभा की थी। पूर्व सांसद दलबीर सिंह का गढ़ माने वाले इस क्षेत्र में भाजपा पिछले लोकसभा में 12 हजार से हारी थी तो विधानसभा में हार का अंतर 38 हजार था। भाजपा ने यहां अपने प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा को काम पर लगाया था।

उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के पास शहडोल जिले की कमान थी। राजेन्द्र शुक्ला ने लगातार क्षेत्र में मतदाताओं से क्षेत्र में सम्पर्क कर पार्टी को विजयी बनाने की अपील की।

दूसरी ओर, सहकारिता राज्यमंत्री विश्वास सारंग को जयसिंहनगर विधानसभा और आसपास के क्षेत्र का जिम्मा दिया गया था। उन्होंने यहां युवाओं की टीम के साथ जमकर पसीना बहाया और यहां से पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा की।

संजय पाठक ने उमरिया और बड़वारा विधानसभा क्षेत्र में खासी मेहनत की। चूंकि कटनी से लगा क्षेत्र होने की वजह से संजय पाठक के पास यहां पर एक बेहतर टीम थी। उन्होंने उसकी बदौलत अपने टास्क को पूरा किया।

भाजयुमो के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष पांडे ने मोर्चा की कमान संभालते ही शहडोल का रुख किया। वे अपनी टीम के साथ यहां डट गए। कांग्रेस प्रत्याशी हिमाद्री युवा थीं, लिहाजा भाजपा ने भी अपनी युवा टीम पर यह जिम्मेदारी डाली कि वे हिमाद्री का प्रभाव युवाओं पर न आने दें। इस मकसद से अभिलाष पांडे ने कई रैलियां की और युवा संगम किए।