Feb 10, 2018
छिंदवाड़ा। विधुत विभाग द्वारा विधुत उपभोक्ता समस्या निवारण का शिविर आयोजित किया गया, लग रहा था जैसे केवल कागजी कार्रवाही के लिए ये शिविर लगाया है। जिसमें पूरे दिन भर में बमुश्किल से 2 से 3 लोग आए और जितने लोग वहां बैठे थे, वे विधुत विभाग के कर्मचारी थे।
मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इस विभाग में कोई समस्या ही नहीं , या फिर जबलपुर से आए अधिकारी केवल कागजी कार्रवाही के लिए आये थे। जब उनसे पूछा की क्या यह शिविर खानापुति है, तब उन्होंने पेपर की विज्ञप्ति दिखा दी।
अहम सवाल...
अब सोचने वाली बात है, कि गांव में कितने लोग पेपर पढ़ते होंगे और क्या वास्तव में शिविर के लिए लाऊड स्पीकर और अन्य प्रचार के साधनों से इस शिविर का प्रचार नहीं किया जाना चाहिए ? क्या ज्यादा प्रचार-प्रसार से इस विभाग की पोल तो नहीं खुल जाएगी ?
किसानों को 10 घंटे बिजली इस क्षेत्र में नहीं मिलती, यदि खेत में बिजली का कनेक्शन लेना है तो ट्रांसफार्मर का पैसा किसानों को भरना पड़ता है, एक तो किसान पर मौसम की मार ऊपर से किसान पर 40000 से 50000 का खर्च।
कनेक्शन के लिए एनओसी जरूरी...
वहीं आम आदमी को एक खुद के घर में विधुत कनेक्शन लेने के लिए नगरपालिका की Noc लेना जरूरी है, और उसमें भी परेशानियां किन्तु इसी के विपरीत पूरे शहर में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बने चाय, की टपरियों और पानठेलों और अवैध मकानों में विधुत विभाग ने ढेर सारे कनेक्शन दिए हैं, अब सोचने की बात है, कि इन लोगों ने कहां से noc लाई होगी क्या इनकी खुद की ये जमीन है।
अब एक बड़ा सवाल है कि क्या विधुत विभाग मात्र खानापूर्ति करने शिविर आयोजित करता है। क्योंकि ये शिविर तो यह सिद्ध करता है कि या तो इस विभाग से जनता को शिकायत ही नहीं या है, औऱ है तो केवल कागजों में जमीनी स्तर पर नहीं।