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इंजीनियर ने बना दी वर्ल्ड क्लास बायो टॉयलेट चेयर, मां की मजबूरी से मिली प्रेरणा

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Apr 6, 2018

ग्वालियर के एक इंजीनियर ने वर्ल्ड क्लास बायो टॉयलेट चेयर बनाई है इस चेयर को राष्ट्रपति द्वारा देश की सबसे बेहतरीन खोज का पुरस्कार दिया गया है। ये चेयर स्वच्छ और जल संरक्षण का लाजवाब नमूना बन गई है। बायो चेयर उन बुजुर्गों और मरीजों के लिए मुफीद साबित होगी है जो चलने-फिरने से लाचार हो या फिर बिस्तर से नही उठ पाते है। दुनिया की ये पहली स्मार्ट चेयर है जिसमें मानव मल बाहर नही आता है।   

ग्वालियर के जयसिंह नरवरिया पेशे से सरकारी अधिकारी हैं, बीते कुछ सालों से स्वच्छता मिशन के लिए काम कर रहे हैं, पथरीले क्षेत्र में बायो टॉयलेट बनाने की उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। लेकिन जब मां की तबियत खराब हुई और वे आसक्त हुईं तो सबसे ज्यादा कष्ट शौच को लेकर होने लगा। जिसके बाद जयसिंह ने दो महीने में ही देश की पहली बॉयो डाइजेस्टर स्मार्ट चेयर बना दी। जिसमें न मल की बदबू और न ही मल फेंकने की समस्या थी। इनबिल्ट टैंक में मौजूद बैक्टीरिया मल को डाइजेस्ट कर देता है और सिर्फ पानी ही बाहर निकलता है। ये पानी भी खाद का काम करता है। हाल में राष्ट्रपति ने दिल्ली में आयोजित फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन में जयसिंह की बायो टायलेट चेयर को बेहतरी खोज का पहला पुरस्कार दिया।   

देश विदेश में सभी जगह बेहतरीन ऑटोमेटिक टॉयलेट चेयर बनाई गई हैं। इन सभी में मल के हिस्से को बाहर निकालकर फेंकने जाना पड़ता हैं, लेकिन ग्वालियर में बनी इस चेयर में इन बिल्ट चैंबर को बाहर नहीं निकालना पड़ता है। मल भी पानी बनकर बाहर निकल जाता है। इस पानी का इस्तेमाल पौधों में खाद के लिए किया जा सकता है। वाहनों में लगाने पर भी सड़क पर मल नहीं फैलेगा, सिर्फ पानी ही फैलेगा, जिससे कोई नुकसान नहीं होगा। जयसिंह के द्वारा बनाई गयी ये चेयर हवाई सेवाओं में भी उपयोग लाई जा सकती है। 

जयसिंह नरवरिया की काबिलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र में जयसिंह के द्वारा डिजाइन किए गए बायो टॉयलेट लगाए गए हैं। जयसिंह की स्मार्ट चेयर दुनिया की सबसे बेहतरीन चेयर का खिताब जीत चुकी है। इस चेयर में मामूली पानी का इस्तेमाल होता है लिहाजा पानी की बचत के साथ ही स्वच्छता में ये चेयर कारगर साबित होगी।