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ग्वालियर में 100 साल बाद भी चिड़ियाघर का नहीं हुआ विस्तार, ओपन जू बनाने का प्रस्ताव फाइलों में अटका

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May 15, 2019

धर्मेन्द्र शर्मा : ग्वालियर में नगर निगम के द्वारा संचालित चिड़ियाघर को करीब 100 साल हो गए हैं लेकिन आज तक चिड़ियाघर का विस्तार नहीं हो सका है। ओपन जू बनाने का कॉन्सेप्ट तो बनाया गया है लेकिन शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते पिछले 1 साल से ज्यादा समय से ओपन जू बनाने का प्रस्ताव फाइलों में अटका पड़ा है ऐसे में लगातार प्रदूषित हो रही शहर की हवा का असर वन्यजीवों पर भी पड़ रहा है।

दुगनावली में जमीन आवंटित
गांधी प्राणी उद्यान चिड़ियाघर के विस्तार के लिए निगम को पहले दुगनावली में जमीन आवंटित हुई थी, लेकिन यह जमीन वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उपयुक्त नहीं होने के कारण प्रस्ताव निरस्त हो गया था। जिसके बाद गुड़ा गुड़ी का नाका के पास वन्य क्षेत्र की 125 हेक्टेयर भूमि के लिए नगर निगम और वन विभाग की टीम के साथ संयुक्त सर्वे हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी चिड़ियाघर को शिफ्ट करने की प्रक्रिया पिछले 1 साल से ज्यादा समय से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। शहर में संचालित हो रहे चिड़ियाघर के चारों ओर वायु और ध्वनि प्रदूषण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। साथ ही चिड़िया घर में मौजूद वन्यजीवों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है जिसके चलते उन्हें घूमने फिरने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही है,जैसी जंगलों में होती है।

वायु प्रदूषण का असर वन्य जीवों पर
चिड़ियाघर में करीब 500 से ज्यादा अलग-अलग प्रजातियों से ज्यादा पशु ,पक्षी है ऐसे में शहर के बीचों-बीच बने चिड़ियाघर के आसपास बाहरी वाहनों की आवाजाही से वायु एवं ध्वनि प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। जिसका असर सीधा असर वन्य जीवों पर होता है जिस तरह से इंसानो पर प्रदूषण का असर होता है वैसे ही वन्य जीव पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है ऐसे में उन्हें शांत और स्वस्थ वातावरण में रखने की आवश्यकता होती है।

ग्वालियर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट मे भी ग्वालियर देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शुमार हो चुका है। चिड़ियाघर को शिफ्ट करने का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा जा चुका है। लेकिन वन विभाग की ओर से जमीन की एनओसी नहीं दी जाने के कारण पूरा मामला अटका पड़ा है। लेकिन अब इस पूरे प्रोजेक्ट को काफी समय होता जा रहा है और इसे बनने मे भी 5 साल से ज्यादा का समय लगेगा। ऐसे मे प्रशासन की लेटलतीफी के चलते शहर के लोगो का ओपन जू मे घूमने का सपना कब तक पूरा हो पाता है। इस पर कुछ कहा नही जा सकता है।