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कारीगरों को प्रशिक्षण देने की थी योजना शुरु, नहीं मिल पाया लाभ

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Jan 29, 2018

**ग्वालियर**। सरकार की योजनाओं को कैसे पलीता लगाया जा रहा है, इसका उदाहरण मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में देखा जा सकता है। जहां सरकार की एक करोड़ से ज्यादा की राशि की खरीदी गई मशीनों को हस्तशिल्प विकास निगम ने कबाड़ के रूप में तब्दील कर दिया है। हस्तशिल्प विकास निगम को लकड़ी के कारीगारों को प्रशिक्षण देकर बेहतर रोजगार के लिए खड़ा करना था। इसले लिए “रीजनल आर्ट क्राफ्ट एंड डिजाइन सेंटर” का निर्माण किया गया था। लेकिन दस साल में इस सेंटर में किसी को प्रशिक्षण नहीं दिया गया। हालात यह हैं कि मशीनों अब कबाड़ हो चुकी हैं। **क्या थी योजना...** दरअसल केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत लकड़ी के हाथ के कारीगारों को बेहतर रोजगार देने के उद्देश्य ग्वालियर के मोती महल स्थित “रीजनल आर्ट क्राफ्ट एंड डिजाइन सेंटर” खोला गया था। जिसका मकसद था की लकड़ी के कारीगर आधुनिक चीजों पर लकड़ी की कारीगरी करें, जिससे उन्हें बेहतर रोजगार प्राप्त हो। साथ ही वह नई-नई कलाकृतियां बनाएं। लेकिन सेंटर का आलम यह है कि मजदूरों को आज तक कोई प्रशिक्षण दिया ही नहीं गया। जिसके कारण यह मशीनें कबाड़ में तब्दील हो रही हैं। जिसको लेकर हाथ की कारीगर काफी दुखी हैं। **एक करोड़ से ज्यादा की लागत से खरीदी थी मशीन...** रीजनल आर्ट क्राफ्ट एंड डिजाइन सेंटर” की मशीनों की हालत ये है कि मशीनों में जंग लग चुकी है। कुछ मशीनें कबाड़ का शक्ल ले रही हैं, तो वहीं सेंटर का परिसर में झाड़ियों से भरा गया। मशीनों में जाले तक लग गए हैं। लेकिन सवाल ये है कि यह मशीन एक करोड़ से ज्यादा की लागत से खरीदी गई थी। अब नगर निगम हस्तशिल्प विकास निगम की जमीन और इस सेंटर की मशीनों अपने अंडर में लेने की कोशिश कर रहा है। निगम का मकसद है, कि इन मशीनों को स्मार्ट सिटी योजना के तहत जोड़ा जाए, जिससे वह लकड़ी के कारीगरों को रोजगार दे पाएं। **सवालों के घेरे में अधिकारी...** हस्तशिल्प विकास निगम की लकड़ी की कारीगारों का “रीजनल आर्ट क्राफ्ट एंड डिजाइन सेंटर” प्रदेश में पहला है, जिसमें इतनी बड़ी राशि खर्च करके लकड़ी के कारीगरों को आधुनिक कलाकृतियां सिखाना मकसद था। जिससे वह बेहतर रोजगार पा सकें, और साथ ही प्रदेश का नाम रोशन कर सकें। लेकिन लापरवाही के चलते इस सेंटर में आज तक एक भी कारीगर को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। जिसके कारण मशीनों की हालत सबके सामने हैं। ऐसे में सवाल अधिकारियों पर भी उठ रहे है, जिनके कार्यकाल में लकड़ी के कारीगारों के लिए रोजगार देने की योजना बनाई गई, जो सरकारी फाइलों से होती हुई,जमीनी स्तर पर तो आ गई। लेकिन जिस तरह से इस योजना पर अमल करना चाहिए था। लेकिन अमल नहीं किया। **इनका कहना है...** सेंटर तो खोल दिया है, लेकिन दस साल से प्राशिक्षण नहीं हुआ है, जिसके कारण मशीनें खराब हो गयी हैं। सेंटर के परिसर की हालत भी बेकार है। **दीपक विश्वकर्मा, कारीगर** सेंटर की हालत बेकार है, एक बड़ी योजना के तहत मशीनों को लगाया गया था, लेकिन कारीगारों को रोजगार नहीं मिला है, हम इसे स्मार्ट सिटी में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे कारीगारों को रोजगार मिल सकें। **विनोद शर्मा, कमिश्नर, नगर निगम**