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बस्तों के बोझ तले दबाया जा रहा है नॉनिहालों का बचपन, स्कूल प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उड़ाईं धज्जियां

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Jul 25, 2019

गणेश विश्वकर्मा : जिले के अंदर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा है। स्कूलों प्रबंधकों की मनमानी से छोटे छोटे बच्चों के बस्तों के बजन पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी से चलवा रहे स्कूलों में अतिरिक्त किताबें और अभिभावको की जेब पर बोझ डाला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कक्षावार बच्चों के बस्तों का बजन निर्धारित किया है लेकिन शिक्षा को कमाई के धंधा बनाने स्कूल संचालकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर रहे हैं और बच्चों पर असहनीय बजन लाद रहे हैं। देखिये इस रिपोर्ट में.....

बच्चों के कंधों पर कॉपी किताबों का डाल रहे बोझ
बता दें कि प्राइवेट स्कूल जिस तरह से बच्चों के कंधों पर कॉपी किताबों से बोझ डाल रहे हैं। उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने समूचे देश के स्कूलों को गाइडलाइन जारी करते हुए कक्षावार बच्चों के बैगों का भजन निर्धारित करने की बात कही थी। लेकिन पन्ना जिले में इससे उलट तस्वीरें सामने आ रही है। जहां पर बच्चे अपने भजन से अधिक कंधो पर बैग टांग कर स्कूल जाने को मजबूर है। वहीं जिले के अधिकारियों और शिक्षा विभाग की बात करें तो उनको इसकी कोई परवाह नहीं है। 

नौनिहालों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर
बच्चों के बैगों के बढ़ते हुए बोझ के कारण कई नौनिहालों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। आमतौर पर भारी भजन  से बच्चों के रीढ़ की हड्डी और बैकबोन में तकलीफ की शिकायतें नजर आती है, लेकिन पन्ना जिले के प्राइवेट व सरकारी स्कूलों की मनमानी के चलते किसी की भी ना तो सुनी जा रही है ना ही कोई बात मानी जा रही है। बच्चे और अभिभावक मजबूर हैं इन स्कूलों के सामने...

जिला प्रशासन मौन 
जब इस पूरे विषय पर प्राइवेट स्कूलों के अलग-अलग प्रिंसिपलों से बात की गई तो वह अलग-अलग तर्क देते हुए नजर आए और उन्होंने कहा कि हम सभी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं। लेकिन अभिभावक और बच्चों की जो तस्वीरें दिख रही है। उनसे यही सामने नजर आ रहा है की प्राइवेट स्कूल व सरकारी अपने तरह से ही काम करेंगे और जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा।