Aug 6, 2019
नई दिल्ली: सदन में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल पेश करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इस पर कानून बनाने का संसद को पूरा अधिकार है। कांग्रेस के शासन में धारा 370 पर दो बार संशोधन किया गया। इस बीच, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सरकार को घेरने की कोशिश में सेल्फ गोल कर बैठे। फिर, कांग्रेस की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने मोर्चा संभाला। उन्होंने बात संभालने का प्रयास किया, किन्तु गृहमंत्री अमित शाह के सीधे सवाल पर वह भी फंस गए और सीधा जवाब नहीं दे सके। मनीष तिवारी ने बिल पर बहस के दौरान कहा कि, "ये एक संविधानिक त्रासदी है। बिना विधानसभा के राय के धारा 370 को समाप्त नहीं कर सकते हैं। यह गलत है। आज आप धारा 370 को खत्म करके क्या संदेश देना चाहते हैं कि धारा 371 को भी ख़त्म कर देंगे। ये किस तरह का कदम है। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित कर तो दिया लेकिन उसके संविधान को क्या होगा?'
कांग्रेस का आरोप सरकार ने विभिन्न पहलुओं पर विचार ही नहीं किया
कांग्रेस का कहना है कि जूनागढ़ ने पाक से विलय करने का फैसला लिया था 15 अगस्त 1947 को। जनाक्रोश था, फिर जनशुमारी हुई थी और वो भारत के साथ आ गया। पाक यूएन में मसले को ले गया लेकिन खारिज कर दिया गया। अगर जूनागढ़, हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर अभिन्न अंग है वो नेहरू के कारण है, हालांकि इसके बाद जब अमित शाह ने उनसे सीधा सवाल पूछा कि कांग्रेस ने स्पष्ट नहीं किया है कि वो धारा 370 हटने के खिलाफ में है या साथ है? इस पर मनीष तिवारी सकपका गए, फिर कुछ देर बाद बोले बगैर विधानसभा की राय लिए आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। आपको जवाब मिल गया होगा।' उन्होंने आगे कहा कि क्या सरकार यहां पर उस संविधान को ख़त्म करने के लिए भी विधेयक लेकर आएगी। सरकार ने विभिन्न पहलुओं पर विचार ही नहीं किया।