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आज भी दलित दूल्हों को घोड़ी पर बैठने की इजाजत नहीं है...: SC-ST आरक्षण में कोटा के मुद्दे पर क्यों भड़के चिराग पासवान

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Aug 5, 2024

 आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए चिराग पासवान उग्र हो गए हैं. चिराग पासवान ने कहा कि एलजेपी (रामविलास) इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने जा रही है.

दलितों के साथ भेदभाव के मुद्दे पर मोर्चा संभालते हुए चिराग ने कहा कि आज भी दलितों के साथ जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता है. आज भी दलित समुदाय के दूल्हों को घोड़ी पर बैठने की इजाजत नहीं है. उन्हें मंदिरों में पूजा करने की इजाजत नहीं है. चिराग ने आगे कहा कि कई बड़े नाम हैं जो बड़े पदों पर हैं लेकिन जब वे मंदिर जाते हैं तो मंदिर को गंगा जल से धोया जाता है.

आरक्षण का आधार छुआछूत : चिराग

क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से वंचित करने के फैसले पर चिराग ने कहा, अनुसूचित जाति को मिलने वाले आरक्षण का आधार छुआछूत है. इसका कोई शैक्षणिक या आर्थिक आधार नहीं है. संविधान में आरक्षण का प्रावधान अस्पृश्यता पर आधारित है, इसलिए इसमें क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं हो सकता.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले गुरुवार को आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसले में एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण की इजाजत दे दी. इस फैसले के बाद मौजूदा आरक्षण कोटे में भी कोटा बनाया जा सकता है. कोर्ट ने एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण से क्रीमी लेयर को अलग करने की जरूरत पर भी जोर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, एससी और एसटी के लिए आरक्षण को उप-वर्गीकृत किया जाएगा ताकि उन वर्गों को लाभ मिल सके जो समान वर्गों के लिए आरक्षण के लाभ से वंचित हैं. उदाहरण के लिए एससी श्रेणी की जातियां जो अधिक पिछड़ी हैं और उन्हें अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है, उनका सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, उन्हें उप-वर्गीकरण के माध्यम से समान कोटे में प्राथमिकता दी जा सकती है ताकि उन्हें लाभ हो और उनका पालन-पोषण किया जाता रहे.

Report By:
Devashish Upadhyay.