Apr 30, 2020
नई दिल्लीः जल शक्ति अभियान ने वर्तमान स्वास्थ्य संकट से निपटने और भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को शक्ति देने के लिए तैयार हैं। इस वर्ष कोविड-19 आपातकाल और ग्रामीण इलाकों में श्रम शक्ति की भारी उपलब्धता को देखते हुए अभियान ने अपने सभी घटकों के माध्यम से, आगामी मानसून की पूरी तैयारी कर ली है। अपनी तरह के पहले प्रयोग में ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विकास, भूमि संसाधन और पेयजल और स्वच्छता विभाग ने एक संयुक्त एडवाइजरी जारी कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को आगामी मानसून और इसके दौरान होने वाली जल संरक्षण और रिचार्ज के लिए तैयारियों की बात की है जो इस समय देश के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता का है।
यह अभियान एक जन आंदोलन है
पिछले साल जनशक्ति अभियान को लॉच किया गया था और इसके जरिए देश भर में जल संकट से जूझ रहे 256 जिलों को कवर किया गया था। यह अभियान एक जन आंदोलन है जिसमें सभी हित धारकों को एक छत के नीचे, एक लक्ष्य यानी जल संरक्षण अभियान से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। पिछले साल से अब तक इसमें राष्ट्रव्यापी प्रभाव देखने को मिला है। अब तक राज्य सरकार, केंद्र सरकार, नागरिक संगठनों, पंचायती राज संस्थानों और समुदायों के जरिए देश के साढ़े छह करोड़ लोग इस अभियान का हिस्सा बन चुके हैं। देश के 75 लाख से ज्यादा परंपरागत और दूसरे जल निकायों और टैंकों को ठीक किया गया है। करीब एक करोड़ ऐसे ऐसी संरचनाएं बनाई जा चुकी हैं जिनसे देश में जल संरक्षण और बारिश के पानी का रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जा सके। ऐसी परिस्थिति में यह सुनिश्चित करना भी बहुत जरूरी है कि बचे हुए संसाधनों का सबसे बेहतरीन और प्रभावी इस्तेमाल हो, जिससे हम बारिश के पानी को ज्यादा से ज्यादा रोक सकें।
सिंचाई और जल संरक्षण से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता
साथ ही हमें अभियान की आगे की तैयारियों को भी धीमा नहीं पड़ने देने का भी ध्यान देना है। गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान भी मनरेगा कार्यों और पेयजल और स्वच्छता से जुड़े कामों को करने की इजाजत दे दी है। इनमें सिंचाई और जल संरक्षण से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। मनरेगा कार्यों में शामिल केंद्र और राज्य सरकार की उन योजनाओं को भी अनुमति दी है जो सिंचाई और जल संरक्षण से जुड़ी हैं। ऐसे में यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इन कार्यों को करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क, मुंह ढकने और अन्य जरूरी सावधानियों का भी ध्यान रखा जाए। परंपरागत जल निकायों को मजबूत करने, जल निकायों के अतिक्रमण को हटाने, तालाबों और पोखरों की सफाई करने, इनलेट/ आउटलेट को बनाने, सशक्त करने और कैचमेंट इलाकों के उपचार को प्राथमिकता दी जाएगी।