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बेंगलुरुः इतिहासकार, शोधकर्ता और लेखक एम. चिदानमूर्ति का निधन, वे 89 वर्ष के थे

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Jan 11, 2020

आज बेंगलुरु में भारतीय इतिहास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इतिहासकार, शोधकर्ता और लेखक एम चिदानमूर्ति का निधन हो गया। उन्हें हम्पी स्मारकों के संरक्षण के लिए अपने अभियान के लिए भी जाना जाता था। एम चिदानंद मूर्ति का जन्म 10 मई 1931 में हुआ था। वह कर्नाटक के प्रसिद्ध विद्वान हैं जो कन्नड़ भाषा और प्राचीन कर्नाटक के इतिहास के विशेषज्ञ हैं। उन्हें अपने हम्पी के स्मारकों के संरक्षण और कन्नड़ भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के अभियान के लिए भी जाना जाता है।

उनके डॉक्टरेट की थीसिस का नाम था कन्नड़ शिलालेखों का सांस्कृतिक अध्ययन

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चिदानंद मूर्ति ने 1953 में मैसूर विश्वविद्यालय से आर्टस (सम्मान) की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1957 में मैसूर विश्वविद्यालय से कन्नड़ साहित्य में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की। अपने स्नातकोत्तर अध्ययनों के दौरान उन्होंने अपने प्रभावशाली निबंध पम्पा कवि मट्टू मौलाना प्रसारा का निर्माण किया था। मैसूर विश्वविद्यालय में वे कुवेम्पु, पुतिना, राघवचर और कन्नड़ साहित्यकारों जैसे कि एस श्रीकांत शास्त्री जैसे इतिहासकारों के प्रभाव में आए। कन्नड़ शिलालेखों पर डॉक्टरल शोध में मूर्ति ने एक और साहित्यिक तेजोमश्री का मार्गदर्शन किया। उनके डॉक्टरेट की थीसिस का नाम कन्नड़ शिलालेखों का सांस्कृतिक अध्ययन था। बता दें कि उन्होंने 1964 में बैंगलोर विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।