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अब सरकार नहीं कर पाएगी इस शब्द का इस्तेमाल : म.प्र. हाईकोर्ट

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Jan 24, 2018

अब आप दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया। हाल ही में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान में किसी भी प्रकार से दलित श्ब्द का उल्लेख नहीं है और केंद्र और राज्य सरकारों को अपने पत्राचारों में इस शब्द का प्रयोग करने से बचने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि जब संविधान में ऐसे शब्द नहीं है तो सरकार को इस शब्द से बचना ही चाहिए। दरअसल ग्वालियर के रहने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता मोहनलाल माहोर की रिट याचिका का निस्तारण करते हुए न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति अशोक कुमार जोशी की खंडपीठ ने किया। उन्होेेंने पिछले सप्ताह कहा कि उसे इस बारे में कोई संदेह नहीं कि सरकारी कर्मचारी इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करें। पीठ ने इस मामले का निस्तारण करते हुए कहा कि इस मामले में, चूंकि याचिकाकर्ता केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के पदाधिकारियों द्वारा जारी ऐसा कोई दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं ला सका जहां कहा गया हो कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति शब्द की जगह दलित शब्द का प्रयोग किया जाए। इसलिये, हम किसी हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं हैं। वहीं अदालत ने कहा कि हमें इस बात पर कोई संदेह नहीं कि केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और इसके कर्मियों को अजा, अजजा के सदस्यों के लिए दलित शब्द के प्रयोग से बचना चाहिए क्योंकि दलित शब्द का संविधान या किसी कानून में जिक्र नहीं मिलता है। याचिकाकर्ता के वकील जितेंद्र शर्मा ने बताया कि अदालत ने 15 जनवरी को यह फैसला सुनाया। याचिका में कहा गया कि सरकारी दस्तावेजों और दूसरी जगहों पर दलित शब्दों का इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मध्य प्रदेश के सरकारी और गैर सरकारी विभाग में वर्ग विशेष के लिए दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया है। वास्तव में एक तरीेके से देखा जाए तो दलित शब्द किसी की भावनाओं को भी आहत कर सकता है। और सरकार को चाहिए कि वह ऐसे किसी भी शब्द का इस्तेमाल जिससे किसी की भावनाएं आहत हो उससे बचना चाहिए।