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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से संबंधित आरोपों पर शीर्ष अदालत ने कड़े किये तेवर

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Sep 20, 2019

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद नाबालिगों को हिरासत में रखने के आरोपों पर शीर्ष अदालत ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के जुवेनाइल जस्टिस पैनल को जांच कर एक हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश दिया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट से लोगों के संपर्क नहीं कर पाने का दावा गलत है। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि वह कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने का मामला उठाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा, क्योंकि यह नाबालिगों से सम्बंधित महत्वपूर्ण मुद्दा है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि हमें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों द्वारा उच्च न्यायालय में अप्रोच न कर पाने का आरोप गलत है।

बच्चों को बंदी बना कर रखने का इल्जाम

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हमें इसकी विरोधाभासी रिपोर्ट भी मिली है, क्योंकि इसमें बच्चों को बंदी बना कर रखने का इल्जाम है। इसलिए हम उच्च न्यायालय के जुवेनाइल जस्टिस पैनल को आदेश देते हैं कि वह इन आरोपों की जांच कर और अपनी रिपोर्ट 1 हफ्ते में कोर्ट को सौंपे। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक लड़के को बगैर किसी कसूर के हिरासत में रखा गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जिस लड़के के कैद में होने की बात कही जा रही है। उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सौंपा गया था। उसके परिजनों ने उच्च न्यायालय में अप्रोच किया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम कश्मीरी बच्चे से संबंधित मुद्दे को देखेंगे, किन्तु लोग उच्च न्यायालय अप्रोच नहीं कर पा रहे, ये आरोप गलत हैं।