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केंद्र के संशोधन से लोकपाल अधिनियम हुआ कमजोर : अन्ना हजारे

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Feb 6, 2018

हाल ही में हजारे ने बजट में अरुण जेटली द्वारा किसानों को डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की बात पर कटाक्ष वार करते हुए कहा कि उन्हें पहले नीति आयोग से बात करनी चाहिए थी, तभी इस बात को बजट में शामिल करना था। हजारे ने सरकार से किसानों के लिए मांग की है कि जो किसान 60 साल की उम्र पार कर चुका है और उसके घर में रोजगार के कोई साधन नहीं है तो उसे सरकार 5000 प्रतिमाह की पेंशन दे। 23 मार्च तक इस शर्त को सरकार मान ले नहीं तो फिर आंदोलन होगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले अन्ना ने कहा कि वह मार्च में प्रस्तावित अपने आंदोलन में शामिल होने वालों से हलफनामा लेंगे कि वे बाद में राजनीति में शामिल नहीं होंगे। वहीं अन्ना हजारे ने कहा है कि केंद्र के खिलाफ उनके तय धरने से एक और केजरीवाल नहीं बनेगा। और तो और हजारे ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भी कटाक्ष वार किया और 2014 के आम चुनावों में किए गए अच्छे दिन के वादे के लिए निशाना साधा। लोकपाल अधिनियम के तहत बात करते हुए उन्होंने कहा है कि भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल की नियुक्ति करने के बजाए केंद्र ऐसे संशोधन लेकर आया जिससे लोकपाल अधिनियम कमजोर हुआ। एक कार्यक्रम से उन्होंने कहा कि नहीं, अब मेरे धरने से कोई दूसरा केजरीवाल पैदा नहीं होगा। मैं अपना समर्थन कर रहे लोगों से हलफनामा ले रहा हूं कि वे राजनीति में शामिल नहीं होंगे। आपको बता दें कि अन्ना हजारे अगले 23 मार्च से फिर से रामलीला मैदान में धरने पर बैठेंगे। और इस बार उनका जो आंदोलन होगा। वह किसानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ होगा। वहीं हजारे ने सरकार के प्रति कड़ा रूख अपनाते हुए कहा है कि सरकार की उद्योगपतियों के प्रति जो उदारता है उसे निशाने पर लेते हुए अन्ना ने कहा कि सरकार जब उद्योगपतियों का कर्ज माफ कर सकती है, तो फिर खून पसीना बहाने वाले किसानों का कर्ज़ा माफ करने में उन्हें क्या परेशानी है? और इस विरोध में आवाज उठाने के लिए अगर सरकार हमें जेल में डालना चाहे तो डाल दे हम जेल जाने से डरने वाले नहीं है।