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तरक्की के मुकाम पर पहुँचा मध्यप्रदेश

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Jan 26, 2018

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने भोपाल के लाल परेड मैदान पर हुए राज्य-स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में कहा कि मध्यप्रदेश तरक्की के जिस मुकाम पर है, वह प्रदेश की जनता और सरकार के एक साथ खड़े होने से संभव हुआ है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रदेश की आगे की यात्रा और समृद्ध तथा सुखद होगी। राज्यपाल ने नागरिकों को गणतंत्र दिवस की बधाई और शुभकामनाएँ भी दीं। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि राज्य सरकार के सुशासन और बेहतर वित्तीय प्रबंधन का ही नतीजा है कि मध्यप्रदेश की विकास दर देश की औसत विकास दर से अधिक है। उन्होंने कहा कि डेढ़ दशक पूर्व तक मध्यप्रदेश बीमारू राज्यों की श्रेणी में गिना जाता था। प्रदेश की विकास दर तो कुछ वर्षों तक नकारात्मक भी रही और देश की औसत विकास दर से हमेशा नीचे होती थी। आज मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है और विकास दर पिछले एक दशक से दो अंकों के करीब रही है। कृषि विकास दर तो 18 से 20 प्रतिशत तक प्रति वर्ष हो रही है। प्रदेश का बजट 2 लाख करोड़ रुपये पार कर चुका है और प्रति व्यक्ति आय में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। राज्यपाल ने कहा कि विकास दर न केवल अधिक रहे, बल्कि वह समावेशी भी हो। विकास में गरीबों की भी उतनी ही भागीदारी हो, जितनी बड़े लोगों की हो। राज्य की समावेशी विकास नीति को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने गरीबों के लिये रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई, दवाई और रोजगार की महत्वाकांक्षी योजनाएँ चलाई हैं। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि प्रदेश में दीनदयाल गरीब कल्याण वर्ष मनाते हुए सरकार ने प्रदेश के हर गरीब व्यक्ति तक पहुँचने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत प्रदेश में 5.50 करोड़ से अधिक जनसंख्या तक एक रुपये प्रति किलो के मूल्य पर अनाज पहुँचाया गया है। शहरों में दीनदयाल रसोई के माध्यम से गरीबों को 5 रुपये में स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। सरकार ने प्रत्येक गरीब को छत मुहैया कराने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय भूमि पर रहने वाले 27 लाख ग्रामीणों को अभी तक भू-अधिकार-पत्र दिये जा चुके हैं। सभी पात्र बेघर परिवारों को आवास के लिये भूखण्ड उपलब्ध के लिये प्रदेशभर में भूखण्ड अधिकार अभियान शुरू किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना सहित विभिन्न योजनाओं में 17.50 लाख से अधिक आवास बने हैं और अगले साल तक 15 लाख आवास बनाये जायेंगे। शहरी क्षेत्रों में इस वर्ष के अंत तक 5 लाख आवास तथा वर्ष 2022 तक 10 लाख आवासीय इकाइयाँ बनाने का लक्ष्य है।