Aug 12, 2024
अडानी समूह ने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग द्वारा सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के साथ मिलीभगत के आरोपों से इनकार किया है. हालाँकि, इस खोखले बचाव के बाद भी कुछ सवाल बाकी हैं. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.
माधवी पुरी बुच के साथ कोई व्यावसायिक लेन-देन नहीं: अडाणी
कथित तौर पर अडानी के शेयर की कीमत को कम करने का पैसा विनोद अडानी द्वारा संचालित एक ऑफशोर फंड से आया था. इस फंड में सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच का निवेश है, तो यह कैसे कहा जा सकता है कि आपके बीच कोई वाणिज्यिक वित्तीय लेनदेन नहीं हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई मतलब नहीं: अडानी
हिंडनबर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की. लेकिन जिस व्यक्ति ने आपकी जांच की और आपको क्लीन चिट दी, वह सेबी अध्यक्ष है जो आपकी ऑफशोर कंपनी में निवेशक है. जिसके बारे में भारत के 140 करोड़ लोगों को जानकारी नहीं है. इस संबंध में न तो अडानी और न ही सेबी ने कोई खुलासा किया है.
हम ऑफशोर फंड निवेशकों तक नहीं पहुंच सकते: सेबी
क्या आप किसी ऑफशोर फंड में जाकर निवेश कर सकते हैं, लेकिन उसका निवेश नहीं मिल रहा है? वजह ये है कि आप खुद इसमें निवेशक हैं.
हमने समय-समय पर सेबी को एक प्रकटीकरण रिपोर्ट सौंपी है
आप कहते हैं कि हम समय-समय पर विभिन्न प्लेटफार्मों पर रिपोर्ट जारी करते हैं. लेकिन ये प्रकटीकरण जाँच कौन करेगा? आप स्वयं अध्यक्ष हैं. आपने आयकर रिटर्न में क्या खुलासा किया है?