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दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर: हजारों साल पहले भगवान शिव का निवास स्थान

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Mar 8, 2024

Highest Shiva temple: ब्रह्मा, विष्णु और महेश सृष्टि के रचयिता हैं। भोलानाथ को महादेव कहा जाता है। भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक भगवान शिव के कई मंदिर हैं। क्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कौन सा है? तो जान लें कि दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर उत्तराखंड में स्थित है, जिसे तुंगनाथ मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के उत्तराखंड स्थित प्राचीन पंच केदारों में से एक है। तो आइए जानते हैं तुंगनाथ मंदिर से जुड़ी रोचक बातें।

दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर -

माना जाता है कि उत्तराखंड के इस शिव मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था। इस मंदिर का नाम तुंगनाथ मंदिर है। यह उत्तराखंड के रुद्र प्रयाग जिले में तुंगनाथ नामक पर्वत पर स्थित है। पुराणों की मानें तो यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। यह मंदिर बहुत प्राचीन माना जाता है। 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शिवालय दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है।

तुंगनाथ: चोटियों के स्वामी -

यह मंदिर 1000 साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा पंचकेदार के रूप में की जाती है। तुंगनाथ मंदिर लगभग केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिरों के बीच में स्थित है। यह मंदिर पंचकेदारों के क्रम में दूसरे स्थान पर है।

तुंगनाथ मंदिर से जुड़ी है महाभारत की पौराणिक कथा -

दरअसल, पंचकेदारों में दूसरे केदार के नाम से मशहूर तुंगनाथ की स्थापना महाभारत युद्ध के बाद हुई बताई जाती है, जब पांडव अपने ही लोगों को मारने के बाद व्याकुल हो गए थे। इस चिंता से मुक्ति पाने के लिए वह महर्षि व्यास के पास गये। व्यास ने उन्हें बताया कि अपने भाइयों और गुरुओं की हत्या के बाद उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा है। अत: महादेव ही उन्हें बचा सकते हैं। कहा जाता है कि इसके बाद ही पांडवों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। तुंगनाथ की चोटी अक्षकामिनी नदी बनाने वाली तीन धाराओं का स्रोत है। यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और चोपता से तीन किलोमीटर दूर है।

यह मंदिर श्री राम से जुड़ा है -

एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान महादेव के पंच केदारों में से एक तुंगनाथ का अन्य केदारों की तुलना में विशेष महत्व है क्योंकि यह स्थान भगवान राम से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि यहीं पर रामचन्द्र ने अपने जीवन के कुछ क्षण एकान्त में व्यतीत किये थे। पुराणों में कहा गया है कि लंकापति रावण की मृत्यु के बाद भगवान राम यहां आए थे और तुंगनाथ से डेढ़ किलोमीटर दूर चौदह हजार फीट की ऊंचाई पर चंद्रशिला पर ध्यान किया था। भगवान राम ने यहां कुछ समय बिताया था।

Report By:
Author
Ankit tiwari