Oct 14, 2018
संजय डोगरडिवे - शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है चार भुजाओं वाली मां दुर्गा के रूप के गोद में विराजमान होते हैं कुमार कार्तिकेय इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता भी कहा जाता है मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता के दो हाथों में कमल और एक हाथ में कुमार कार्तिकेय बैठे रहते हैं कुमार कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति कहा जाता है।
देवताओं के इसी सेनापति का एक नाम स्कंद भी है माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करती हैं स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है माता उपासना से पारिवारिक शांति आती है, रोगों से मुक्ति मिलती है और दुश्मनों का अंत होता है।
माँ स्कंदमाता की पूजा करते समय इस मंत्र का करें जाप
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमों नमः।।