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आंवला नवमी 2025: अक्षय पुण्य और समृद्धि का दुर्लभ संयोग

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Oct 4, 2025

आंवला नवमी 2025: अक्षय पुण्य और समृद्धि का दुर्लभ संयोग

आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी या धात्री नवमी के नाम से भी जाना जाता है, 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह पर्व आस्था, स्वास्थ्य और समृद्धि का अनूठा संगम है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में वास करते हैं, जिसके कारण इसकी पूजा से अक्षय पुण्य, दीर्घायु और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस बार रवि योग और वृद्धि योग जैसे शुभ संयोग इस दिन को और भी विशेष बना रहे हैं।

आंवला नवमी का महत्व

आंवला नवमी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल नवमी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 10:07 बजे शुरू होगी और 31 अक्टूबर को सुबह 10:03 बजे समाप्त होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का प्रिय है। इसकी पूजा से सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। आयुर्वेद में आंवले को अमृत तुल्य माना गया है, जो रोगों का नाश करता है और शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।

पूजा विधि और परंपराएँ

इस दिन भक्त प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं। आंवले के वृक्ष की जड़ में जल, दूध, पुष्प और अक्षत अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते हुए सात या ग्यारह परिक्रमा की जाती है। पूजा के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने की परंपरा है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। यह कार्य परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।

स्वास्थ्य लाभ

आंवला न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, त्वचा और बालों को स्वस्थ रखता है, साथ ही मानसिक शांति प्रदान करता है।

आंवला नवमी का पर्व धर्म और विज्ञान का सुंदर समन्वय है। इस दिन पूजा और आंवले के सेवन से भक्तों को आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं।

Report By:
Monika