Nov 10, 2025
वैवाहिक जीवन में मिठास लौटाएगी कालाष्टमी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और खास उपाय
आगहन मास कीकृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती या कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। 12 नवंबर 2025, बुधवार को पड़ने वाली इस तिथि पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व है। आचार्यों का मानना है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्त पर शिवजी की कृपा बनी रहती है। खास तौर पर, वैवाहिक जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए भी कालाष्टमी को खास मौका माना गया है।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
काल भैरव भगवान शंकर केही रौद्र रूप माने जाते हैं। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले साधक के सभी पाप, कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन श्रद्धापूर्वक किया गया व्रत और पूजन न केवल भौतिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है, बल्कि कुंडली में मौजूद राहु दोष जैसे ग्रह दोषों को भी शांत करने में सहायक माना जाता है।
वैवाहिक जीवन में सुधार के उपाय
यदिवैवाहिक जीवन में कलह या मनमुटाव चल रहा है, तो कालाष्टमी पर कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं। शनि ग्रह को प्रेम और विवाह का कारक माना जाता है, इसलिए काले तिल या उड़द की दाल का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इसी तरह, काले रंग के वस्त्र दान करने से भी वैवाहिक जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। माना जाता है कि जूतों का दान करने से राहु ग्रह की पीड़ा शांत होती है, जो अक्सर रिश्तों में कड़वाहट का कारण बनता है।
पूजन का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग केअनुसार, अष्टमी तिथि 11 नवंबर को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर 12 नवंबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, काल भैरव जयंती 12 नवंबर, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सुबह के समय काल भैरव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
कालाष्टमीका पर्व भक्तों के लिए अपने जीवन की समस्याओं को दूर करने और ईश्वरीय कृपा पाने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है। विशेष रूप से वैवाहिक रिश्तों में आई ठंडक को दूर करने और फिर से मिठास भरने के लिए इस दिन किए जाने वाले उपाय अत्यंत कारगर सिद्ध हो सकते हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए ये छोटे-छोटे उपाय जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।







