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शारदीय नवरात्रि 2025: रहस्यमयी नहर वाली माता का चमत्कार, दर्शन से घाटे का व्यापार लाभ का स्रोत, सूनी गोद भरने की कथा

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Sep 29, 2025

शारदीय नवरात्रि 2025: रहस्यमयी नहर वाली माता का चमत्कार, दर्शन से घाटे का व्यापार लाभ का स्रोत, सूनी गोद भरने की कथा

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में शारदीय नवरात्रि 2025 का महापर्व चरम पर है। 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलने वाले इस नौ दिवसीय उत्सव में दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। लेकिन चंद्रबदनी इलाके का नहर वाली माता मंदिर आस्था का अनोखा केंद्र बन गया है। लगभग 250 वर्ष पुराना यह ऐतिहासिक मंदिर न केवल भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करता है, बल्कि इसके पीछे छिपी रहस्यमयी कथाएं आज भी लोगों को आकर्षित कर रही हैं। विशेष रूप से 29 सितंबर 2025 को, नवरात्रि के सातवें दिन, यहां हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचे, जहां चमत्कारिक घटनाओं की साक्षी बने। क्या है इस मंदिर का रहस्य? आइए, जानते हैं।

नहर वाली माता: नाम के पीछे छिपा प्राचीन रहस्य

ग्वालियर के चंद्रबदनी क्षेत्र में स्थित यह मंदिर नहर के किनारे बसा होने के कारण 'नहर वाली माता' के नाम से प्रसिद्ध है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, रियासत काल में यहां से गुजरने वाली 120 फीट चौड़ी नहर हमेशा जल से भरी रहती थी, जो मंदिर की पवित्रता का प्रतीक बनी। मां दुर्गा का बाघेश्वरी स्वरूप यहां उत्तरमुखी शेर पर विराजमान है, जो पुराणों में वर्णित एक दुर्लभ रूप है। कथा कहती है कि जब मां राक्षसों का संहार कर दक्षिण से लौट रही थीं, तभी यह स्वरूप प्रकट हुआ। मंदिर में मां को चौला चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो भक्तों को समृद्धि का वरदान देती है। लेकिन असली रहस्य तो यह है कि नहर का पानी कभी सूखा नहीं, भले ही आसपास के कुएं-पोखर सूख जाएं। स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि यह मां की लीला है, जो भक्तों को सदा जल-जीवन का संदेश देती है।

 चमत्कारिक कथा: सूनी गोद भरने वाली मैया की कृपा

इस मंदिर की सबसे रहस्यमयी मान्यता महिलाओं से जुड़ी है। जिस स्त्री की गोद सूनी रह जाती है, वह मां के चरणों में नारियल अर्पित कर मनौती मांगती है। किंवदंती है कि मां की कृपा से न केवल गोद भर जाती है, बल्कि संतान स्वस्थ और सुखी रहती है। मनोकामना पूरी होने पर भक्तिनें यहां 'पलना ढालने' की रस्म निभाती हैं, जहां नवजात को मां के समक्ष रखकर आशीर्वाद लिया जाता है। 29 सितंबर 2025 को ही एक ऐसी घटना घटी, जब एक दंपति ने अपनी लंबे इंतजार के बाद हुई संतान का पलना ढाला। गवाहों के अनुसार, मंदिर में एक अलौकिक ज्योति प्रकट हुई, जो पूरे परिसर को रोशन कर गई। यह चमत्कार न केवल आस्था बढ़ाता है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी रहस्यमय है – क्या यह ऊर्जा का कोई प्राचीन स्रोत है? मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ऐसी घटनाएं हर नवरात्रि में दोहराई जाती हैं, जो मां की मातृत्व शक्ति का प्रमाण हैं।

प्रॉफिट वाली मैया: व्यापार में लाभ का अनोखा रहस्य

नहर वाली माता को 'प्रॉफिट वाली मैया' क्यों कहा जाता है, यह भी एक रोचक रहस्य है। मान्यता है कि मां के एक दर्शन मात्र से घाटे में डूबा व्यापार उछाल मारने लगता है। ग्वालियर के व्यापारी वर्ग में यह परंपरा प्रचलित है – वे मंदिर आकर मां को धागा बांधते हैं और लाभ की कामना करते हैं। सफलता मिलने पर भंडारे का आयोजन करते हैं, जो मंदिर को जीवंत बना देता है। 29 सितंबर 2025 को दर्जनों व्यापारियों ने अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं। एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि तीन साल के घाटे के बाद मां के दर्शन से उनका कारोबार दोगुना हो गया। लेकिन रहस्य यह है कि मंदिर के पास कोई विशेष यंत्र या ज्योतिषीय चक्र नहीं, फिर भी यह चमत्कार क्यों? कुछ विद्वान इसे मां की सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ते हैं, जो व्यापार की बाधाओं को दूर करती है। नवरात्रि के इस पर्व में मंदिर में रात-रात भर जागरण होते हैं, जहां भजन-कीर्तन के बीच ये कथाएं सुनाई जाती हैं, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

Report By:
Monika