Loading...
अभी-अभी:

शरद पूर्णिमा 2025: राधा-कृष्ण की आराधना और महारास की रहस्यमयी रात का महत्व

image

Oct 3, 2025

शरद पूर्णिमा 2025: राधा-कृष्ण की आराधना और महारास की रहस्यमयी रात का महत्व

शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 6 अक्टूबर को आ रही है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत वर्षा मानी जाती है। यह वर्ष की सबसे विशेष पूर्णिमा है, जहां मां लक्ष्मी की पूजा के साथ राधा-कृष्ण की उपासना भी की जाती है। धार्मिक मान्यताओं में इस रात को महारास का गहरा संबंध है, जब भगवान कृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन में दिव्य नृत्य रचाया। इस पूजा से जीवन में प्रेम, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। बहुत से लोग इस दिन की परंपराओं को अपनाते हैं, जैसे चंद्रमा की किरणों में खीर रखना और रात्रि जागरण करना। यह उत्सव भक्ति और प्रकृति के मिलन का प्रतीक है।

राधा-कृष्ण पूजा का धार्मिक महत्व शरद पूर्णिमा पर राधा-कृष्ण की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं, जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरती हैं। राधा रानी और श्रीकृष्ण का युगल स्वरूप प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। भक्त इस दिन व्रत रखकर उनकी आरती करते हैं और मंत्र जाप से मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यह पूजा वैवाहिक जीवन में मधुरता लाती है और अविवाहितों को सच्चा प्रेम प्रदान करती है। पुराणों में वर्णित है कि इस तिथि पर की गई उपासना से मोक्ष की प्राप्ति भी संभव है।

महारास की कथा और इसका रहस्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन के वनों में गोपियों के साथ महारास रचाया था। यह महारास कोई सांसारिक नृत्य नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के दिव्य मिलन का रूप था। कथा कहती है कि कृष्ण ने अपनी योगमाया से प्रत्येक गोपी के साथ अलग-अलग रूप धारण किया, जिससे हर गोपी को लगा कि कृष्ण केवल उसके साथ हैं। यह घटना अनन्य भक्ति और प्रेम की पराकाष्ठा दर्शाती है। महारास का रहस्य यह है कि यह भौतिक सुख से परे आध्यात्मिक आनंद का प्रतीक है, जहां जीव परमात्मा में विलीन हो जाता है। इसी कारण इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

लक्ष्मी पूजा के साथ राधा-कृष्ण की उपासना का संयोजन शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा धन और समृद्धि के लिए की जाती है, लेकिन राधा-कृष्ण की आराधना इसे और अधिक पूर्ण बनाती है। लक्ष्मी धन की देवी हैं, जबकि राधा-कृष्ण प्रेम के अवतार। इन दोनों की संयुक्त पूजा से जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन आता है। भक्त रात भर जागकर चंद्रमा की किरणों में रखी खीर ग्रहण करते हैं, जो स्वास्थ्य लाभ देती है। इस दिन की परंपराएं आयुर्वेद से भी जुड़ी हैं, क्योंकि चंद्र किरणें औषधीय गुणों से युक्त मानी जाती हैं।

शरद पूर्णिमा की परंपराएं और लाभ इस उत्सव में लोग चंद्रमा की पूजा करते हैं और रात्रि में बाहर रहकर उसकी किरणें ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि इससे रोग दूर होते हैं और मन शांत रहता है। राधा-कृष्ण की पूजा से विशेष रूप से युवा पीढ़ी आकर्षित होती है, क्योंकि यह प्रेम संबंधों को मजबूत बनाती है। आध्यात्मिक दृष्टि से, महारास की स्मृति भक्तों को ईश्वर से जुड़ने की प्रेरणा देती है। इस दिन दान-पुण्य और भजन-कीर्तन से पुण्य प्राप्ति होती है। कुल मिलाकर, शरद पूर्णिमा भक्ति, स्वास्थ्य और प्रेम का संगम है।

Report By:
Monika