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घंटी का कंपन है सकारात्कता का प्रतीक

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Jan 24, 2018

आप इस बात से तो परिचित होंगें ही कि जब भी हम किसी धार्मिक स्थल पर जाते है तो वहां पूरा वातावरण मंदिरों की घंटियों से गुंजायमान हो जाता है। हम देखते है कि प्राचीन काल से ही मंदिरों में घंटियां अनिवार्य रूप से लगाई जाती रही हैं। देवी-देवताओं की आरती भी घंटी के नाद के बिना संपूर्ण नहीं मानी जाती है। भगवान की आरती में कई प्रकार के वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं, इनमें घंटी का स्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वास्तविक दृष्टि से अगर देखा जाए तो मंदिरों में घंटिया लगाना एक सकारात्मक परिणाम की ओर जाने जैसा है। जब मंदिर में पूजा करते समय घंटी की ध्वनि होती है तो मन, मस्तिष्क और शरीर को ऊर्जा प्रकार प्रदान करती है। इस ऊर्जा से बुद्धि प्रखर एं तेजवान होती है। जब घंटी बजती है तो वातावरण में एक कंपन पैदा होता है और यह वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन से क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है। वातावरण शुद्ध होने के साथ ही यह हमारे मन मस्तिष्क की सारी विकृतियों को नष्ट भी कर देता है। अगर इसके एक और पहलू की बात करे तो जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती हैं। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार भी खुलते हैं। वास्तुशास्त्र में भी घंटी को बहुत महत्व दिया गया है। और अगर वास्तुशास्त्र के अनुसार बात की जाए तो जिन घरों में घंटी रखी जाती है और आरती के समय प्रतिदिन घंटी बजाई जाती है उन घरों में धन की देवी लक्ष्मी वास करती है। ऐसे घरों में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। जिस स्थान पर घंटी रखी जाती है ऐसी जगह से नकारात्मक शक्तियां कोसों दूर रहती हैं। अत: भारतीय शास्त्रों के अनुसार घंटी को बहुत ही सकारात्मक प्रतीक माना जाता है और यही कारण है कि भारत के हर मंदिर हर घर में घंटियों को बजाना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।