Loading...
अभी-अभी:

विनायक चतुर्थी व्रत 2023: गुरुवार को होगा विनायक चतुर्थी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और महत्व

image

Feb 22, 2023

विनायक चतुर्थी व्रत 2023: हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से गौरी पुत्र गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। तो आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत का धार्मिक महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त।

विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत 23 फरवरी, गुरुवार को रखा जाएगा। विनायक श्री गणेश चतुर्थी हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाई जाती है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं। गौरी के पुत्र गणेश को हमारी संस्कृति में प्रथम पूज्य का दर्जा दिया गया है। किसी भी देवी-देवता की पूजा करने से पहले लंबोदर भगवान की पूजा करने का विधान है।

श्री गणेश चतुर्थी तिथि के अधिष्ठाता देवता माने जाते हैं। उन्हें ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। भगवान गणेश की पूजा करना जल्द ही फलदायी माना जाता है और विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इससे व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और धन में भी वृद्धि होती है।

विनायक चतुर्थी पूजा शुभ समय 
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ दोपहर 1:54 बजे (23 फरवरी 2023)
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त - दोपहर 12 बजकर 30 मिनट (24 फरवरी 2023)
सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रातः 06.05 से 24 फरवरी 2023 को प्रातः 02.00 से दोपहर 2.00 बजे तक
विनायक चतुर्थी व्रत तिथि: 23 फरवरी 2023

इन गणेश मंत्रों का करें जाप
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा।।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।
सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने। मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः।।

विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद सूर्य भगवान को जल से अर्घ्य दें।
विनायक चतुर्थी का व्रत करें।
मंदिर को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
गौरी पुत्र गणेश की विधि-विधान से पूजा करें।
गणपतिजी के चित्र या मूर्ति पर फूल, माला, दूर्वा, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप अर्पित करें।
भगवान गणेश को मोदक, नारियल या बूंदी के लड्डू चढ़ाएं।
गणपतिजी के प्रिय स्तोत्र का पाठ करें।
इसके बाद अंत में गणेश जी की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।