Jul 13, 2017
रायपुर : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने कहा कि अजीत जोगी की जाति का मामला जोगी गेट स्कैम हैं, ठीक वैसा ही जैसा कोलगेट स्कैम था, वाटरगेट स्कैम था। साय ने कहा कि जोगी परिवार छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के विरूद्ध तरह-तरह के षडयंत्र रचते आ रहा हैं। इससे यहां के आदिवासियों का बड़ा नुकसान हुआ हैं। नंदकुमार साय ने जोगी की जाति के निर्धारण में एक दशक से ज्यादा वक्त लगने को एक बड़ी साजिश का हिस्सा बताया और कहा हैं कि इस पूरे मामले में भी उच्च स्तरीय जांच किए जाने की जरूरत हैं।
नंदकुमार साय अमित जोगी के उन आरोपों पर जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि साय बिलासपुर कलेक्टर पर अजीत जोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का दबाव बना रहे हैं। अमित जोगी ने कहा था कि साय बौखलाहट की वजह से संवैधानिक पद का दुरूपयोग कर रहे हैं। अमित जोगी पर निशाना साधते हुए नंदकुमार साय ने कहा कि उन्हें अमित जोगी से सिखने की जरूरत नहीं हैं। ये लोग अपराध करके ऊंची आवाज में बात करने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि छानबीन समिति ने अजीत जोगी की जाति का निर्धारण कर दिया हैं, तो अमित जोगी की जाति भी तय हो गई हैं, जब पिता ट्रायबल नहीं तो फिर बेटा ट्रायबल नहीं हो सकता, लिहाजा उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
नंदकुमार साय ने कहा कि अजीत जोगी की जाति के मामले में साल 2013 में मनोज पिंगुआ की अध्यक्षता में छानबीन समिति का गठन किया गया था। उस वक्त भी एक निर्णय हो चुका था। जोगी को नोटिस देकर तब पूछा गया था कि उनकी जाति क्या हैं? जाति को लेकर कोई दस्तावेज हैं, तो उसे समिति के समक्ष प्रस्तुत करें, लेकिन जोगी ने कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया। बाद में पता चला कि ट्रायबल विभाग के एक अधिकारी ने कोर्ट में इस मामले पर आवेदन दिया हैं। इसके बाद कहा गया कि इस पूरे मामले की जांच छानबीन समिति नए सिरे से फिर करें। समिति की जांच के दौरान अजीत जोगी के गांव में जाकर प्रक्रिया का पालन किए बगैर ग्राम सभा बुलाई गई थी।
कानून में हैं एफआईआर किए जाने का प्रावधान?
बिलासपुर कलेक्टर को जोगी मामले में एफआईआर दर्ज किए जाने के निर्देश के सवाल पर नंदकुमार साय ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के हितों की समीक्षा करना उनका काम हैं। बिलासपुर में समीक्षा के दौरान कहा गया कि साल 2013 में बनाए गए कानून की कंडिका 8 में साफ लिखा हैं कि जाति प्रमाण पत्र गलत पाए जाने पर प्रमाण पत्र निरस्त किया जाए। कंडिका 9 में कहा गया हैं कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए जनप्रतिनिधि निर्वाचित होने और पद पर आने के बाद ली गई तमाम सुविधाओं की वसूली की जाए। साय ने कहा कि कंडिका 10 में एफआईआर दर्ज किए जाने का प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि जब छानबीन समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये माना हैं कि जोगी कंवर जाति के नहीं हैं, समिति की रिपोर्ट के आधार पर जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया। तो फिर प्रावधानों के अनुरूप आगे भी कार्रवाई की जानी चाहिए। अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के समक्ष याचिकाकर्ता संतराम नेताम ने भी आवेदन दिया हैं।
अजीत जोगी को मिल रही सुविधा तत्काल बंद हो
नंदकुमार साय ने कहा हैं कि अजीत जोगी को पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते जो सुविधाएं दी जा रही हैं, उन तमाम सुविधाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। तमाम सुविधाओं को बंद किया जाना चाहिए।








