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7 साल के दर्द के बाद आशा की किरण, पढ़ें अशोक की दर्दभरी दास्तान

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Feb 2, 2018

**गरियाबंद**। दिव्यांग अशोक सोनी की जिंदगी में 7 साल बाद आशा की नयी किरण जागी है। विधुत विभाग ने दो लाख का मुआवजा अशोक को दिया है। पत्नि के तिरस्कार और बेबस पिता की खुदकुशी के बाद जिंदगी से परेशान अशोक शासन से इच्छा मृत्यु तक की मांग कर चुका था। **क्या है अशोक की पूरी कहानी...** दरअसल गरियाबंद जिले के लाटापारा निवासी अशोक सोनी कभी एक कुशल कारीगर हुआ करता था, मगर 2011 में भवन निर्माण के दौरान बिजली की चपेट में आने से अपने दोनों हाथ पांव गंवा बैठा, उस समय उसे शासन प्रशासन से लेकर ठेकेदार तक किसी ने कोई मदद नहीं की, आर्थिक तंगी के कारण ईलाज ठीक से नहीं होने पर परिवार के हालात बिगडे तो पत्नि छोडकर चली गयी, जमीन बिकने के बाद भी जब ईलाज नहीं हो पाया तो कर्ज से परेशान बेबस पिता ने भी खुदकुशी कर ली, पैसे के आभाव में ईलाज बंद हो गया तो अशोक घर में ही जिंदगी और मौत से लड़ने लगा, दर्द भुलाने के लिए शराब का सहारा लिया, मगर उससे भी दर्द कम नही हुआ। **2 लाख का दिया चैक...** अब सात साल बाद विद्युत विभाग ने अशोक को मुआवजे के तौर पर 2 लाख का चेक दिया है, अशोक को लगता है कि अब उसके जीवन में कुछ सुधार होगा। घटना के समय ईलाज के लिए अशोक ने स्थानीय नेताओं से लेकर राजधानी रायपुर तक गुहार लगायी, मगर किसी ने उसकी नहीं सुनी, कुछ समय पहले देवभोग जनपद अध्यक्ष नेहा सिंघल और उपाध्यक्ष असलम मेमन ने उसके ईलाज का बीड़ा उठाया, आशोक की दास्तान सासंद अभिषेक सिंह को सुनाई, उनकी मदद से रायपुर के एक निजी अस्पताल में उनका प्राथमिक उपचार हुआ, मगर अभी भी बहुत सा उपचार शेष है, हालांकि जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने बाकि उपचार भी जल्द कराने का आश्वासन अशोक को दिया है। सबकुछ गंवा चुका अशोक एक बार फिर अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुट गया है, हो सकता है कई बड़ी कीमतें चुकाने के बाद उसकी जिंदगी पटरी पर लौट भी जाये। मगर ये सवाल उसके जेहन में हमेशा बना रहेगा कि आखिर यदि इसी तरह की मदद उसे घटना के समय मिल गयी होती तो शायद उसे पत्नि से बिछुडने और पिता की मौत की कीमत ना चुकानी पडती, सवाल ये भी उठता है कि सरकार अपनी जिन योजनाओं को जनकल्याणकारी होने का दावा करती है, क्या उन योजनाओं को लाभ हितग्राहियों को समय पर मिल पा रहा है।