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बस्तर दंतेवाडा में नक्सली कर रहे जबरदस्त चुनाव का विरोध

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Nov 7, 2018

पंकज सिंह भदौरिया : विधानसभा चुनाव २०१८ को लेकर दक्षिण बस्तर दंतेवाडा में नक्सली जबरदस्त चुनाव का विरोध कर रहे है एक तरफ सरकार वोट पंडूम मनाकर साल 2013 के 61.93 % मतदान को इस बार बढ़ाकर सफल मतदान करवाना चाह रही है तो वही अन्दुरुनी नदी पार के इलाको वाले गावो में नक्सली चुनाव बहिष्कार का बिगुल फूंक रखे है दंतेवाडा के कुआकोंडा के अन्दुरुनी गाव रेवाली,जबेली,बुरगुम, नीलावाया,पोटाली जैसे दर्जनों गाव अब भी नक्सलवाद की जद में फंसे हुए है जहा लोकतंत्र के पर्व को विफल बनाने के लिए मलगेर दलम के  नक्सली नाट्य मण्डली से भाजपा सरकार को चोर बताते हुए नुक्कड़ नाटको से चुनाव बहिष्कार  करने की ग्रामीणों से अपील कर रहे है. जबकि सफल मतदान करवाने के लिए दंतेवाडा विधानसभा में इस बार 70 कम्पनी अतरिक्त सुरक्षा बल के जवानो की भी मंगाई गयी है इन सबके बाद भी अन्दुरुनी इलाकों में लोकतंत्र को लेकर बगावत की हवा बह रही है   

दरअसल यह तस्वीर दन्तेवाड़ा के अरनपुर  इलाके की है जो नक्सलियों का सुरक्षित इलाका माना जाता है अदुरुनी इलाकों में चुनाव बहिष्कार का नक्सली फरमान राजनीतिक दलों में दहशत बनकर समा गया है जगह जगह लाल बैनर, राजनीतिक पार्टियों को भगाने के नक्सली नारे भी लगा रहे है। वर्ष 2003 में 60.28%, वर्ष 2008 में 55.60% और 2013 में 61.93% मतदान दन्तेवाड़ा विधानसभा में रहा है।

पिछले 2013 के चुनाव की हम बात करे तो दन्तेवाड़ा के आधे दर्जन गांव आलनार, बड़ेगादाम,पुरनगेल, बुरगुम,किडरीरास,कौरगांव शून्य मतदान के रहे  तो वही जबेली, समेली, ककाड़ी,पोटाली,अरनपुर,नीलावाया,मुलेर, समलवार, टेलम जैसे ग्रामो में 10 से कम वोट डले थे। यह भी मलगेर दलम के नक्सलियो के पकड़ का इलाका है। दन्तेवाड़ा देश के अति संवेदनशील नक्सलक्षेत्र में माना जाता है।नक्सलियो के इस जिले में हर बार चुनाव बहिष्कार की चेतावनी के बावजूद भी लोगो की आस्था लोकतंत्र में बनी रहती है। जिन इलाकों में माहौल सुरक्षित लगता है वहाँ बम्फर मतदान होता है। 2018 में भी यही उम्मीद की जा रही है।