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अम्बिकापुरः कुपोषण से लड़ने के तमाम दावे हुये फेल, पोषण पुनर्वास केन्द्र में दाखिल एक बच्चे की इलाज के आभाव में मौत

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Sep 10, 2019

राम कुमार यादव - कुपोषण से लड़ने के तमाम दावे आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले में खोखले साबित हो रहे हैं, क्योंकि यहां संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र में दाखिल एक बच्चे की इलाज के आभाव में मौत हो गई। एक दर्दनाक मामला सामने आया है। जहां डेढ साल की मासूम बच्ची ने दम तोड़ दिया है। परिजनों का आरोप है कि इलाज के आभाव में बच्ची की मौत हुई है, तो वहीं महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों के बयान से भी केन्द्र के संचालक और डाक्टरों की लापरवाही की बात स्पष्ट हो रही है।

परिजन केन्द्र के संचालक डॉक्टर पर लगा रहे गंभीर आरोप

अम्बिकापुर के मेंडिकल कालेज कैंपस में संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र वैसे तो कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिहाज से खोला गया था, लेकिन केन्द्र की अनदेखी और बेहतर आहार की कमी के कारण केन्द्र में बच्चे की बेहतर देखभाल नहीं हो पा रही है। ऐसे में इस केन्द्र में एक मासूम की मौत हो जाना, केन्द्र के बेहतर संचालन पर सवाल खड़ा करने के लिए काफी है। दरअसल जिले के लुण्ड्रा क्षेत्र के सेमरडीह गांव की रहने वाले एक परिवार की डेढ़ साल की बच्ची सिमरन कुपोषण की शिकार थी। जिसके बाद बीते 3 सितंबर को महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारियों ने बच्ची की बेहतरी के लिए पोषण पुनर्वास केन्द्र लाये थे, लेकिन शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात मासूम सिमरन की तबियत बिगड़ गई। परिजनों के कहने पर भी उसे डाक्टर के पास नहीं ले जाया गया और उसकी मौत हो गई। लिहाजा अब परिजन केन्द्र के संचालक डाक्टर पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं कि इलाज के आभाव में सिमरन की मौत हुई है।

अधिकारी गले में कुछ फंस जाने की वजह से सिमरन की मौत की बात कह रहे

बच्ची के पिता का कहना है कि सिमरन की मौत की खबर किसी को पता ना चले, इसलिए उसकी मौत के बाद बच्ची का शव परिजनों को सौंप कर उन्हें आनन-फानन में उनके गांव रवाना कर दिया गया था। इधर सिमरन की मौत के बाद जब हमने कुपोषित बच्चों की पहचान कर इस केन्द्र तक पहुंचाने वाले विभाग के अधिकारी से मौत की वजह जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि गले में कुछ फंस जाने की वजह से सिमरन की मौत हो गई थी। बच्ची की मौत इस तरह से होने के बाद ये सवाल उठता है कि आखिर डेढ़ साल की बच्ची के गले में आखिर क्या फंस गया था कि उसकी मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक जिस लुण्ड्रा ब्लाक की रहने वाली इस बच्ची की मौत हुई है, उस क्षेत्र में सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की पहचान हुई है, लेकिन सिमरन की मौत के बाद क्षेत्र और गांव के जनप्रतिनिधि इस केन्द्र में बच्चा भेजने से भी डरने लगे हैं।

बच्ची की मौत से अब कई सवाल उठ खड़े हुये हैं

पोषण पुनर्वास केन्द्र जिस उद्देश्य से खोला गया था, वो उद्देश्य पूरा हो रहा है या नहीं? केन्द्र खुलने के बाद कितने बच्चे सुपोषित हुए कितने नहीं? केन्द्र खुलने से अब तक बच्चों के पोषण आहार में कितने रूपए खर्च किए गए? यहां पर बच्चों की देखरेख के लिए रात में डॉक्टर तैनात रहते हैं या चौकीदार? सिमरन की मौत के बाद ये सब ज्वलंत सवाल जिला प्रशासन और खुद सूबे के स्वास्थ मंत्री के सामने खडे हो रहे हैं, क्योंकि ये पोषण पुनर्वास केन्द्र मेडिकल कालेज कैंपस में अस्पताल की निगरानी में रहता है।