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रायपुरः सहकारी समितियों को भंग करने के मामले में कांग्रेस सरकार भाजपा के निशाने पर

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Sep 1, 2019

आशीष तिवारी - सहकारी समितियों को भंग करने के मामले में कांग्रेस सरकार भाजपा के निशाने पर है। भाजपा ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि पुनर्गठन की आड़ में निर्वाचित बॉडी को सरकार भंग कर रही है। लोकतंत्र की परिभाषा को सरकार नहीं समझ रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और अपेक्स बैंक के पूर्व चेयरमैन अशोक बजाज ने कहा है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुने हुए जनप्रतिनिधियों को सरकार के उप सचिव स्तर के अधिकारी के आदेश से नहीं हटाया जा सकता। बजाज ने कहा कि राज्य सरकार ने 25 जुलाई को राजपत्र का प्रकाशन किया है, जिसमें प्रदेश की ज्यादातर सोसाइटियों को भंग किया जा रहा है। बोर्ड को काम करने से परिवर्तित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को पुर्नगठन की स्कीम बनाने का अधिकार है, लेकिन पहले जनता की राय लें कि जिस गांव को हटाकर दूसरी सोसाइटियों में डाला गया है, वहां के लोग प्रभावित ना हो।

सरकार ने अपने अधिकारियों के प्रस्ताव के आधार पर लिस्ट बनाई है, कई विसंगति

भाजपा के वरिष्ठ नेता बजाज ने कहा कि सरकार ने अपने अधिकारियों के प्रस्ताव के आधार पर लिस्ट बनाई है, कई विसंगति है। एक तरफ कहते हैं कि विधानसभा का विखंडन नहीं होना चाहिए, ग्राम पंचायत का विखंडन न हो, लेकिन इन्होंने जो लिस्ट जारी की है, उसमें बहुत सारी विसंगतियां है। सरकार ने खुद आदेश जारी किया है, लेकिन खुद उसका पालन नहीं कर रही। हम इस पर आपत्ति करेंगे, अशोक बजाज ने कहा कि सोसाइटियों के पुनर्गठन से बोर्ड प्रभावित नहीं हो रहा है, बोर्ड को यथावत रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार ने नगर पंचायत पालिकाओं औऱ नगर निगम के वार्डों का परिसीमन किया, अधिकांश वार्ड प्रभावित हुए। पार्षदों के कार्यक्षेत्र दूसरी जगह चला गया। इसके बाद भी पार्षदों के काम को परिवर्तित नहीं किया, लेकिन नगरीय निकायों के मामले में अलग मापदंड अपना रही है। सहकारी संसाथाओं के लिए अलग मापदंड रखना बताता है कि दुर्भावनावश ऐसा किया जा रहा है। जिसने भी सहकारिता से छेड़छाड़ किया है, उसे राजनीतिक लाभ नहीं मिल सकता।