Loading...
अभी-अभी:

अपनी जेब भरने के लिए भ्रष्ट अफसरों ने सरकारी योजनाओं को बनाया जरिया

image

Dec 4, 2019

अभिषेक सेमर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है लेकिन इस मामले में अभी तक उनके हाथ सिर्फ नाकामयाबी ही लगी है। सरकार ने रिश्वतखोरी पर लगाम लगाया तो भ्रष्ट अफसरों ने अपनी जेब भरने के लिए सरकारी योजनाओं को ही जरिया बना लिया। शायद आपको ये बातें हवा हवाई लगे, लेकिन जब आप 'मनरेगा' के बारे में सोचेंगे तो भ्रष्टाचार की बू आपके भी नाक तक पहुंचने लगेगी। जी हां, अगर देखा जाए तो पूरे देश में मनरेगा के नाम पर जितनी भर्राशाही देश में मची है शायद ही ऐसी कोई सरकारी योजना होगी, जिसके नाम से अधिकारियों ने सरकार को इतना चूना लगाया हो।

अधिकारियों ने लगाया शासन को चूना
ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है। इसमें जिले के तखतपुर ब्लॉक के राजपुर गांव में, जहां अधिकारियों ने मनरेगा के तहत तालाब को इतना गहरा करवा दिया कि अब डबरी भी उसके सामने ज्यादा गहरा लगने लगा है। जी हां यहां तालाब खुदाई के नाम पर अधिकारियों ने दिल खोलकर शासन को चूना लगाया है। यहां तालाब गहरी कारण तो दूर मिट्टी का एक ढेला भी तालाब से नहीं निकाला गया है। वहीं, अगर सरकारी कागजों की बात करें तो इस काम मे अधिकारियों ने लगभग 2 लाख 73 हजार लगा दिए। गौर करने वाली बात यह है कि जब तालाब से एक ढेला भी नहीं निकाला तो पैसे कहाँ लग गए। यही सवाल जब आरटीआई एक्टिविस्ट ने शासन से पूछा तो पहले उन्होंने गलत जवाब देकर मामला रफा-दफा करना चाहा। लेकिन चोरी हुई है तो राज तो खुलना ही था।

भ्रष्ट अधिकारी काले धन को पचाने की कोशिश में
पहले तो अधिकारियों ने गांव के सरपंच और सचिव के साथ मिलकर पैसे हजम कर लिए, लेकिन जब मामला खुलने लगा है तो न वो जवाब दे पा रहे हैं न रिपोर्ट साझा करने को तैयार हैं। अधिकारियों को ऐसी हरकत से इस बात को इनकार नहीं किया जा सकता कि कहीं न कहीं गोलमाल हुआ है। फिलहाल यह देखना होगा कि कब तक ये भ्रष्ट अधिकारी इस काले धन को पचाने की कोशिश करते हैं और किस स्तर के अधिकारियों तक इनकी जड़ फैली हुई है। हालाकि मामला उजागर होने पर जब हमने सम्बंधित और आला अधिकारीयों से घोटाले के संबंध में रिएक्शन लेने की कोशिश की गई तो सभी ने इस घोटाले से दूरियाँ बना ली और कुछ भी कहने से बचने लगे। चाहे जनपद पंचायत सीईओ हिमांशु गुप्ता हो या फिर एसडीएम् आनंद तिवारी  या फिर जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल ही क्यों ना हो। इन सब ने मीडिया से दूरियाँ बना ली! लेकिन जब जिला पंचायत बिलासपुर के अधिकारीयों ने मामले में पड़ताल के बाद सेटिंग के लिए जांच करने एक टीम ग्राम राजपुर आई तो इस दौरान मनरेगा इंजीनियर महीप रंगारी भी पल्ला झाड़ते रहें और तालाब की खुदाई होने का दावा करते रहें और कहा कि जांच पड़ताल चल रहा है, सब ठीक हो जाएगा। इससे आप आसानी से अंदाजा लगा सकते है कि ग्राम में बिना तालाब खुदाई के जनाब इंजीनियर महीप रंगारी सरपंच रमेश कर्ष से सांठगाँठ कर बिल पास कर लिया और शासन की लाखों रुपए की राशि को हजम कर डकार भी मार चुके है लेकिन सरपंच रमेश कर्ष और इंजीनियर साहब इतने बेफिक्र है कि अपनी पहुँच व् पावर के दम पर बिलासपुर और रायपुर के अधिकारियों और नेता, मंत्री से बताकर मामले को सेटिंग करने में लगे हुए है।