Loading...
अभी-अभी:

गरियाबंदः भ्रष्टाचार के चलन में अधिकारियों का बोलबाला, विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा खेल

image

Jan 24, 2020

लोकेश सिन्हा - प्रदेश शासन स्तर पर गुणवत्ता सतर्कता स्क्याड अधिकारी जल संसाधन विभाग के निर्देशों का खुलेआम धज्जियाँ उड़ी जा रही है। विगत दिनों अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग का उच्च स्तरीय निर्देश के बाद लागत 2 करोड़ 34 लाख 10 हजार रुपये का पैरी परियोजना जल संसाधन संभाग गरियाबंद उप संभाग पांडुका के फिंगेश्वर डिस्ट्रिब्यूर 0 से 48 में चल रहे नहर लाइनींग कार्य में निरीक्षण की पूरी कहानी जल संसाधन संभाग गरियाबंद के आला अधिकारियों ने लिखी थी। जिसमें कभी नहीं पहुंचने वाले अनुबंध ठेकेदार कार्य स्थल पर और कार्यपालन अधिकारी गरियाबंद अधीक्षण अभियंता के पंहुचने से पहले स्थल निरीक्षण और कुछ अधिकारी पेटी कांट्रेक्टर के साथ विभागीय रेस्ट हाऊस में बैठे नजर आये। सारा खेल विभागीय अधिकारियों के सरक्षण में चल रहा है।

ठेकेदार अधिकारियों और पेटी कांट्रेक्टर के बीच चलता है सांठगांठ

चल रहे लाइनींग कार्य का खेल ठेकेदार अधिकारियों और पेटी कांट्रेक्टर के बीच सांठगांठ का जिता जागता उदाहरण है। चूंकि विभाग के निर्देश के बाद अगर कार्य नहीं हो रहा है और आला अफसरों का भर्राशाही रवैया दिखाई देता है तो किसी से कुछ कहने का आवश्यकता नहीं सब सेटिंग का मामला है। मगर भविष्य में आम किसानों को भुगतना पड़ेगा इसकी चिंता नहीं है।

अधिकारियों की मिलीभगत से खुद के विभागों की बनाई गई निर्देशों को ही अमल में नहीं लाया जा रहा है। अगर अमल में लाया जाता तो कार्य स्थल पर काम्पेक्सन यूनिट / वाइब्रेटिंग यूनिट से कार्य होता दिखाई देता। मगर फिंगेश्वर डिस्ट्रिब्यूटर के 0-48 में स्लीपर के बाद यहाँ तो पोकलैंड में पाटा (Hammer plet)  लगाकर कार्य कराए जा रहे हैं। शायद जिला गरियाबंद के जल संसाधन संभाग के लिए अलग नियम निर्धारित किया गया होगा। तभी तो कार्य अलग ढंग से संचालित किया जा रहा है। पहले हाउजिंग फिर काम्पेक्सन वह भी यूनिट वाइब्रो या फिर हाई स्पीड रोलर से, मगर यहाँ तो पहले स्लीपर फिर राक मटेरियल से पोकलैंड में पाटा से काम्पेक्सन करा रहे हैं और कार्य का अनुबंध के बाद भी अधिकारियों के साठगांठ से पेटी कांट्रेक्टर से कार्य कराया जा रहा है।