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सर्व शिक्षा अभियान के बावजूद बच्चे शिक्षा से वंचित, डॉक्टर बनने का सपना कबाड़ की किताबो में सिमटा

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Jul 2, 2018

सभी को शिक्षा दिलाने सरकार द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान सब पढे सब बड़े अब ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा ऐसा ही नजारा डोंगरगढ़ में देखने को मिला जहां गरीबी की वजह से ग्यारह बारह वर्षीय बलवंत सुबह बैग थामे स्कूल जाने की बजाय सुबह सुबह अपने बड़े भाई गनपत के साथ हाथ मे बोरी थामे कचड़ा चुनने निकल पड़ता है और कबाड़ से मिले पैसों को अपने परिवार के खर्च के लिए दे देता है।

बलवंत को डॉक्टर बनने की इच्छा तो है जिसे कबाड़ में किताबो को देख कर पूरा कर लेता है जब हमने बलवंत को पढ़ने लिखने नही आता है पर किताबो के चित्र देखकर जरूर खुश हो जाता बलवंत को पढ़ने की इच्छा है पर उसकी गरीबी उसके पढ़ाई के आड़े आ जाती है इसीलिए अब तक बलवंत स्कूल नही जा पाया है वही उसका बड़ा भाई गनपत भी पढ़ा लिखा नही है जब स्कूल गया तो शिक्षकों ने बड़ा होने की वजह से स्कूल में पढाने से मना कर देने की बात बताते हुए गनपत ने बताया कि पढ़ने की इच्छा है।

दोनो भाइयो को अपनी उम्र तक नही मालूम है इस सम्बंध में हमने शिक्षा विभाग के अधिकारी एन के पंचभवे से पूछने पर उन्होंने बच्चो को घुमन्तु परिवार से होने की वजह पड़ने में दिक्कत आ रही है ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए कई बार उनके द्वारा प्रयास किया गया है पर जो भी हो सच्चाई यही है कि आज भी न जाने कितने बच्चे अधिकारियों की उदासीनता के चलते शासन की योजनाओं का लाभ नही ले पा रहे है और उनका डॉक्टर, इंजीनियर सरकारी नॉकरी कर देश की सेवा करने का सपना कबाड़ के किताबो में कही गुम होते जा रहा है।