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धमतरीः शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा मामले में 11 फर्जी शिक्षाकर्मियों को दो ढाई-ढाई साल की कठोर सजा

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Oct 24, 2019

धमतरी जिले के मगरलोड जनपद पंचायत में वर्ष 2008 में हुए शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा मामले में 11 फर्जी शिक्षाकर्मियों को दो ढाई-ढाई साल की कठोर सजा प्रथम श्रेणी व्यवहार न्यायालय कुरुद ने सुनाई है। बता दें कि वर्ष 2008 में शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की नौकरी के लिए अभ्यर्थियों की भर्ती की गई थी। धमतरी जिले के मगरलोड जनपद पंचायत में भी विज्ञान एवं कला विषय के लिए 211 पदों पर भर्ती हुई थी। इस भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का आरोप ग्राम चंदना निवासी आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू ने लगाया था। उसने सूचना के अधिकार के तहत तमाम दस्तावेज हासिल करने के बाद 3 जून 2006 को धमतरी कलेक्टर और एसपी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत की थी।

11 शिक्षाकर्मियों के विरुद्ध आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध

शिकायत और प्रारंभिक जांच के आधार पर मगरलोड थाना में 11 शिक्षाकर्मियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध हुआ था। शिकायत करने के करीब 9 साल बाद 6 अगस्त 2018 को न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कुरुद में शिकायतकर्ता कृष्ण कुमार साहू का बयान दर्ज किया गया। सभी पक्ष को सुनने के बाद न्यायाधीश महेश बाबू ने आरोप को सही पाते हुए सभी 11 शिक्षाकर्मियों को धारा 420 के तहत 2 वर्ष कठोर कारावास व 500 रुपए अर्थदंड, धारा 467 के तहत 2 वर्ष 6 माह कठोर कारावास व 1000 रुपए अर्थदंड, धारा 468 के तहत 2 वर्ष कठोर कारावास व 500 रुपए अर्थदंड और धारा 471 के तहत 1 वर्ष कठोर कारावास व 500 अर्थदंड की सजा सुनाया है।

सीईओ के खिलाफ भी हुई थी शिकायत

आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू का कहना है कि शिक्षाकर्मी फर्जीवाड़ा में जनपद सीईओ समेत छानबीन समिति की भी मुख्य भूमिका रही है, क्योंकि छानबीन समिति के द्वारा फर्जी दस्तावेजों को भी सही बताते हुए अपात्र अभ्यर्थियों को शिक्षाकर्मी की नौकरी दिलाने का काम किया गया। इस मामले में करीब 20 शिक्षाकर्मियों के अलावा जनपद सीईओ और छानबीन समिति के विरुद्ध भी थाना में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने सिर्फ 11 शिक्षाकर्मियों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया, बाकी लोगों के खिलाफ  अपराध पंजीबद्ध करने के बजाय उन्हें छोड़ दिया गया। अब जब न्यायालय ने भी आरोप को सही पाते हुए फर्जी शिक्षाकर्मियों को सजा दे दी है, तब यह स्पष्ट हो चुका है कि छानबीन समिति में शामिल लोगों के द्वारा इस फर्जीवाड़े को अमलीजामा पहनाया गया था, लिहाजा उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जानी चाहिए।