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किसान ने गांव में दो तालाब बनवाकर ग्रामीणों को दिलाई सूखे से निजात

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Jun 8, 2019

पुरूषोत्तम पात्रा : गरियाबंद में एक किसान लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया है, बता दें कि किसान ने अपनी 32 साल की कडी मेहनत से गांव में दो तालाब बनवाकर ग्रामीणों को सूखे से निजात दिलाई है, किसान ने कल इन दोनों तालाबों का प्राण प्रतिष्ठा किया जिसमें आसापास के हजारों लोग शामिल हुये।

सूखे की मार झेल रहा टेमरा गांव
गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसा टेमरा गॉव आसपास के अन्य गांवो की तरह हमेशा सुखे की मार झेलता रहा है, गॉव के 76 वर्षीय जोगेन्द्र बेहरा ने अपनी जवानी के समय में सूखे का जब ये नजारा देखा तो उससे निपटने की ठान ली, जोगेन्द्र अपनी खेती से जो भी कमाता उससे अपने खेत में तालाब खुदवाता गया, 32 साल के लंबे सघर्ष के बाद आखिर वो दिन आ ही गया जिसका जोगेन्द्र को बेसबरी से इंतजार था। लगभग 30 लाख की लागत से जोगेन्द्र के दोनों तालाब पूर्ण हो गये और कल उन्होंने आसापास के हजारों लोगो की मौजूदगी में इन तालाबों की विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा की, जोगेन्द्र के इन तालाबों से ना केवल उसकी जमीन सिंचित होगी बल्कि आसपास के किसानों को फसल के लिए भी पानी उपलब्ध होगा साथ ही तीन गॉव के लोगो को निस्तारी की समस्या से भी निजात मिलेगी, तालाबों में सालभर पानी रहे इसके लिए सोलर पंप लगा दिया गया है।

किसान से ग्रामीण हुए प्रभावित
जोगेन्द्र का कद कल उस समय और बढ गया जब प्राण प्रतिष्ठा में पहुंचे आसपास के ग्रामीणों और सगे संबंधियों ने परंपरा के मुताबिक उन्हें नेग भेंट करने की कोशिश की तो उन्हें सभी को यह कहते हुए नेग लेने से मना कर दिया कि जो राशि आप मुझे देना चाहते है उसे आप अपने गॉवों में सूखे से निपटने में खर्च कर देना, उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि वे नया तालाब नहीं खुदवा सकते हैं तो कम से कम जो तालाब उनके गॉव में है उसे सहेज कर जरुर रखें, जोगेन्द्र बेहरा की ये बाते सुनकर ग्रामीण बहुत प्रभावित हुए।

सभी लोगों को आत्मनिर्भर बनना चाहिए, जिससे देश ​का विकास हो सके
जोगेन्द्र बेहरा चाहते तो सरकार की मदद से एक ही दिन में तालाब खुदवा सकते थे, मगर उऩ्होंने अपनी समस्या खुद सुलझाने का निर्णय लिया और लोगों को भी ये समझाने का प्रयास किया, उनका मानना है कि जबतक ग्रामीण अपनी मेहनत से आत्मनिर्भर बनने की नही सोचेंगे तबतक देश का विकास नही हो सकता।