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रायपुरः स्थानीय लोक कलाकारों की हो रही अनदेखी, अधिकारियों की चल रही मनमानी

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May 9, 2019

वैभव शिव पाण्डेय- छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग के मंत्री भले ठेठ छत्तीसगढ़िया नेता ही रहे, लेकिन असल में वहां मंत्रियों की कम, अधिकारियों की ज्यादा चलती रही है, क्योंकि संस्कृति विभाग के हाथों सबसे ज्यादा कोई छला गया है, तो वो है प्रदेश के प्रतिभावान लोक कलाकार, स्थानीय कलाकार, छत्तीसगढ़िया कलाकार। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ का संस्कृति विभाग अक्सर विवादों में रहा। छत्तीसगढ़िया कलाकारों के निशानों पर रहा। आइये जानते हैं कि किस तरह से संस्कृति विभाग अधिकारियों की पत्नियों और बेटियों के साथ, बाहरी कलाकारों पर रहा मेहरबान और कैसे स्थानीय कलाकारों के लंबित रह जाते हैं भुगतान।

आईएफएस संचालक इस मसले पर जवाब नहीं देना चाहते

अब बकायदा ऑफिस के बाहर मौजूदा आईएफएस संचालक ने भुगतान को लेकर एक बैनर भी टंगवा दिया है, जिसमें लिखा है कि लंबित भुगतान को लेकर कलाकार परेशान न करें। संचालक अनिल साहू ने इस तरह का साफ निर्देश जारी कर एक तरह से स्थानीय कलाकारों को चेतावनी दे दी है। वैसे नए संचालकर अनिल साहू अब संस्कृति विभाग को किस तरह चलाएंगे उसका एक गैर जिम्मेदराना रूप भी देख लीजिए। संचालक इस मसले पर जवाब नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने अपने कार्यालय में मीडिया कैमरे को बैन कर दिया है। इसे हमारे मोबाइल कैमरे कैद से समझ सकते हैं।
चक्रधर समारोह का आंकड़ा देखने पर खुलता है राज
स्वराज एक्सप्रेस के मौजूद आरटीआई से मिले दस्तावेज यह साफ बताते हैं कि किस तरह से अधिकारियों की मनमानी छत्तीसगढ़ में होने वाले सांस्कृतिक समारोह में चलती रही है। यहाँ पर आज हम आपको सिर्फ चक्रधर समारोह का आंकड़ा दिखाने जा रहा है। जरा एक समारोह से ही समझ लीजिए कि असल में छत्तीसगढ़िया कलाकार कैसे अधिकारियों के हाथों चलते रहे हैं। 
सबसे 2016 में हुए 32वाँ चक्रधर समारोह का दस्तावेज देखिए। इस समारोह में एम.के. राउत और पूर्णश्री राउत की बेटी अंकिता राउत ने ओड़िसी नृत्य की प्रस्तुति दी थी, इन्हें भुगतान हुआ डेढ़ लाख रुपये। वहीं अमन सिंह की पत्नी यास्मिन सिंह ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी थी तो इन्हें भुगतान हुआ एक लाख 68 हजार रुपये। मुंबई की सूफी गायिका ऋचा शर्मा ने अपनी प्रस्तुति दी तो उन्हें भुगतान किया ग्यारह लाख अस्सी हजार रुपये। इस समारोह में कुल 22 कार्यक्रम हुए लेकिन लोकरंग पर आधारित छत्तीसगढ़ी पर सिर्फ एक कार्यक्रम हुआ। 
कुछ स्थानीय कलाकार पैसे के भुगतान को लेकर ऑफिस के चक्कर काट रहे
शेखर गिरी ने पंथी पर नृत्य की प्रस्तुति दी, लेकिन इन्हें एक रुपये तक का भुगतान नहीं किया गया। वैसे सिर्फ शेखर गिरी नहीं, बल्कि 7 ऐसे कलाकार जिन्हें एक रुपये का भुगतान नहीं किया गया। वैसे आपको यहाँ यह भी बता दे कि एम.के. राउत की पत्नी पूर्णश्री राउत शिक्षक हैं, लेकिन वो स्कूल में पढ़ाना छोड़कर बीते कई सालों से संस्कृति विभाग के मलाईदार पद में पदस्त हैं। 
छत्तीसगढ़िया कलाकारों की उपेक्षा से न सिर्फ आम लोक कलाकार परेशान है, बल्कि पद्मश्री पुरस्कार सम्मानित ममता चंद्राकर, अनुज शर्मा से प्रसिद्ध कलाकार भी। अनुज शर्मा कहते हैं कि उनका लाखों रुपये का भुगतान सालों से बाकी है। यहाँ तो उनका ही भुगतान जल्दी होता जो अधिकारियों को कमीशन देते हैं। अगर शिकायत करो तो कार्यक्रम नहीं देने की धमकी देते हैं।