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तमनार जिले के गांवों में द्वार-द्वार पर मची 'छेरछेरा कोठी के धान ल हेरहेरा' की गूंज

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Jan 20, 2019

दुलेन्द्र कुमार - केलो कोयलांचल खनिज, वन सम्पदा से परिपूर्ण बनांचल आदिवासी बाहुल्य जनपद तमनार रायगढ़ जिले के गांवों में द्वार-द्वार पर 'छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा' की गूँज अन्न दान का महापर्व छेरछेरा लोक पारंपरिक त्योहार पौष की पूर्णिमा को मनाया जा रहा है छेरछेरा त्योहार कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है।

आदिकाल से संकल्पित रहा यह त्योहार

उत्सवधर्मिता से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है। धान मिंसाई हो जाने के चलते गाँव में घर-घर धान का भंडार होता है जिसके चलते लोग छेरछेरा माँगने वालों को दान करते हैं।

घर-घर जाकर मांगी जाती है धान

सुबह से ही बच्चे, युवक व युवतियाँ हाथ में टोकरी, थैला बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा माँगते हैं वहीं डंडा नृत्यको, रामायण कीर्तन भजन पार्टियों की टोलियाँ घर-घर पहुँचती हैं सभी घरों में पुरी रोटी, आइसा, गुझा, आलू चाप, बड़ा भजिया तथा अन्य व्यंजन बनाया जाता है।