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कोरबाः रसोइया के भरोसे बच्चों को छोड़ शिक्षक उड़ा रहे मौज

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Jun 29, 2019

मनोज यादव- इन दिनों शासकीय स्कूलों के शिक्षकों की मौज है। शैक्षणिक प्रशिक्षण के नाम पर कुछ टीचर जमकर मनमानी कर रहें है। उनमें नौनिहालों को पढ़ाने में कोई दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है। कटघोरा विकासखंड के मड़वामौहा गांव में संचालित शासकीय प्राथमिक स्कूल में पदस्थ शिक्षकों ने अपनी सहुलियत के लिए किराए का टीचर रख लिया है। शुक्रवार को स्कूल के दोनों शिक्षक प्रशिक्षण के नाम पर नदारत थे। रसोइया के भरोसे बच्चों को छोड़ दिया गया था।

नए सत्र में सभी को उम्मीद थी कि स्कूल शिक्षा विभाग की बदहाली दूर होगी। संविलियन होने के बाद शिक्षक अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर होगें। मगर दिन-ब-दिन व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। खासतौर पर कुछ लापरवाह शिक्षक अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहे हैं। कटघोरा विकासखंड के मड़वामौहा गांव के शासकीय प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों की कुछ ऐसी ही लापरवाही सामने आई है। दोपहर के वक्त हमारी न्यूज टीम स्कूल की व्यवस्था का जायजा लेने पहुंची। देखने में सब कुछ ठीकठाक लग रहा था। कक्षा में एक मैडम बच्चों को पढ़ा रही थी। मगर कहते है ना कि कभी-कभी जो दिखता है वो हकीकत नहीं होती। कक्षा में टीचर की चेयर पर बैठी ये महिला टीचर नहीं, बल्कि स्कूल की रसोइया है।

पदस्थ शिक्षिका की लापरवाही से चौपट हो रहा बच्चों का भविष्य

आपको बता दे इन दिनों शिक्षकों की विशेष ट्रेनिंग चल रही है। यहां पदस्थ शिक्षिका प्रशिक्षण के लिए कटघोरा गई है। रसोइया के मुताबिक मैडम ने ही इन्हें बच्चों को संभालने की जवाबदारी दी है। मगर जब हमने फोन पर मैडम से बात की तो उन्होनें इस बात से इंकार करते हुए बताया कि यहां एक और शिक्षक की पद स्थापना है। मेरी अनुपस्थिति में उनका रहना अनिवार्य है। मगर बच्चों से पता चला कि शिक्षक तो स्कूल आते ही नहीं हैं। इस बात की सच्चाई जानने के लिए हमने शिक्षक आनंद कंवर से फोन पर बात की। इन जनाब की बातों को सुनकर आप भी समझ गए होंगे कि इन्हें अध्यापन कराने में कितनी दिलचस्पी है। अधिकारियों की व्यवस्था देखने के नाम पर इन्होंने पूरा पल्ला ही झाड़ लिया है।

नियमों की उड़ रही धज्जियां

हैरानी की बात ये है कि अपनी सहुलियत के लिए आनंद कंवर ने एक रसोइया को काम पर रखा है। जिसको मानदेय भी दिया जाता है। रसोइया की माने तो जब भी दोनों शिक्षक गायब रहते हैं तो बच्चों की देखरेख यही करती है। इसके एवज में इसे 1000 रूपए तक खर्चा भी दिया जाता है। बच्चों के भविष्य संवारने की जिम्मेदारी सरकार ने जिन शिक्षकों को दी है, उन्होंने अपने अधिनस्त ही किराए में कर्मचारी रखा है, जबकि ये पूर्णतः गलत है। नियम के तहत किसी भी परिस्थिति में स्कूल को बंद नहीं करना है और न ही बच्चों को किसी के भरोसे छोड़ना है। मगर यहां पदस्थ दोनों शिक्षक अधिकारियों की आंखो में धूल झोंककर मनमानी कर रहे हैं। देखना होगा कि नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले शिक्षकों पर क्या कार्रवाई होती है।