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किड़नी प्रभावित सुपेबेड़ा गांव के मरीज स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली से नाराज, स्वास्थ्य शिविरों में जाना किया बंद

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Nov 24, 2018

पुरूषोत्तम पात्रा : गरियाबंद के किड़नी प्रभावित सुपेबेड़ा गांव के मरीज स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली से इस कदर नाराज है कि अब उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के शिविरों में भी जाना बंद कर दिया है, स्वास्थ्य विभाग मरीजो से मिलने उनके घरों के चक्कर काट रहा है और मरीज स्वास्थ्य विभाग से कनी कांटने में लगे है।

गरियाबंद का सुपेबेडा गॉव पिछले तीन साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहा है, गॉव के 65 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से अपनी जान गंवा चुके है और सैकंडो लोग अभी भी जिंदगी और मौत से लड रहे है, स्वास्थ्य विभाग लगातार मरीजों को बेहतर ईलाज देने का दावा करता रहा है, मगर ऐसा हुआ नही, अब तो हालात ऐसे हो गये है कि मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग के शिविरों में भी जाना बंद कर दिया है, स्वास्थ्य विभाग ने ऐसा ही एक शिविर शनिवार को देवभोग में आयोजित किया था, रायपुर के नेफ्रोलॉजिस्ट प्रफुल दावले अपनी टीम के साथ मरीजो का ईलाज करने पहुंचे मगर दोपहर तक केवल एक मरीज ही शिविर में पहुंचा, उसके बाद डॉक्टरों की एक टीम ने गॉव पहुंचकर शिविर लगाया मगर वहॉ भी केवल 4 मरीज ही पहुंचे, मजबूरी में डॉक्टरों की टीम ने घर घर जाकर मरीजों से संपर्क करना पडा।

स्वास्थ्य विभाग से नाराजगी के पीछे ग्रामीणों के अपने तर्क है, ग्रामीणों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने पिछले तीन साल से उन पर केवल प्रयोग किया है ईलाज नही किया, सरकारी अस्पताल में तो उनका ईलाज बिल्कुल नही हुआ, बल्कि जो लोग ईलाज के लिए मेकाहारा गये उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पडा, इसलिए वे निजी अस्पताल में ईलाज करवाना चाहते है, सरकार ने उनके योजना भी बनायी थी मगर उसका सही लाभ उन्हें नही मिला इसलिए वे स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली से नाराज है।

सुपेबेडा में सरकार द्वारा किये गये दावों और जमीनी हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है, यही कारण है कि तीन साल बाद भी सुपेबेडा के हालात नही सुधरे जबकि सुपेबेडा के लिए शासन और प्रशासन ना जाने अब तक कितने दावे किये, इसलिए हाताश और निराश ग्रामीणों ने अब शासन से उम्मीद करना ही बंद कर दिया है।