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विजयदशमी पर भोपाल में धूमधाम से शस्त्र पूजा: सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं

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Oct 2, 2025

विजयदशमी पर भोपाल में धूमधाम से शस्त्र पूजा: सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं

 विजयदशमी का पावन पर्व, जो अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस वर्ष विशेष उत्साह के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री आवास पर शस्त्र पूजा की, जो राज्य में एक नई परंपरा का सूत्रपात करती नजर आई। पारंपरिक धोती-कुर्ता धारण कर वैदिक विधि-विधान से उन्होंने शक्ति स्वरूपा मां काली की आराधना की। यह पूजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में सुरक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता का संदेश भी देता है। सीएम ने प्रदेशवासियों को दशहरा की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व हमें शस्त्र और शास्त्र दोनों की महत्ता सिखाता है।

शस्त्र पूजा का महत्व और आयोजन

विजयदशमी पर शस्त्र पूजा की परंपरा प्राचीन है, जो रावण पर भगवान राम की विजय की याद दिलाती है। इस वर्ष मध्य प्रदेश सरकार ने इसे बड़े स्तर पर प्रोत्साहित किया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इंदौर और महेश्वर में भी शस्त्र पूजन में भाग लिया, जबकि भोपाल में रावण दहन के कार्यक्रमों में शिरकत की। मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित पूजन में सुरक्षा अधिकारी, कर्मचारी और स्टाफ भी शामिल हुए। सीएम ने कहा, "शस्त्र पूजा का महत्व आज पहले से कहीं अधिक है। बांग्लादेश जैसे हालातों से सबक लेते हुए हमें अपनी संस्कृति और सुरक्षा को मजबूत करना होगा।" यह पूजन राज्य के मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने-अपने जिलों में भी किया गया, जो एक ऐतिहासिक बदलाव है। पहले यह जिला अफसरों तक सीमित था, लेकिन अब यह जन-सरकारी सहभागिता का प्रतीक बन गया।

प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं और संदेश

पूजन के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक संदेशों के माध्यम से प्रदेशवासियों को विजयदशमी की बधाई दी। उन्होंने कहा, "यह पर्व हमें साहस, शक्ति और विजय की प्रेरणा देता है। मध्य प्रदेश की अहिल्या देवी की 300वीं जयंती को समर्पित यह उत्सव हमारी सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करेगा।" सीएम ने अपील की कि सभी नागरिक शस्त्र के साथ शास्त्र का भी सम्मान करें, ताकि समाज सुरक्षित और समृद्ध बने। भोपाल में रावण दहन के तीन प्रमुख स्थानों पर सीएम की उपस्थिति ने उत्सव को और भव्य बनाया। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक रहा।

 

Report By:
Monika