Dec 10, 2019
जिला मुख्यालय में संचालित कन्या आवासीय रेसिडेंसियाल विद्यालय में दो दिन पहले कक्षा तीसरी में अध्ययनरत छात्रा नेहा वाचम की मौत के बाद भी अधीक्षिका द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। आवासीय विद्यालयों में आदिवासी बच्चे अध्ययन करने दूरस्थ गांव से पहुंचकर विद्या अध्ययन करते है। उन्हें शासन द्वारा पर्याप्त सुविधा मुहैया करवाई जाती है। इन सभी सुविधाओं के बाद भी आदिवासी छात्र-छात्राएं इससे महरूम होते है।
अधीक्षिका द्वारा बीमार बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
मुख्यालय में संचालित आवासीय विद्यालय के दस छात्राएं बीमार होने के बावजूद भी तकरीबन दो किलोमीटर दूर पैदल चलकर जिला चिकित्सालय में इलाज करवातें है। बीमार से पीड़ित रहने के बाद भी अधीक्षिका शबाना परवीन के द्वारा पैदल हॉस्पिटल भेजा जाता है। इन दस बीमार छात्राओं में कुछ ऐसी भी छात्राऐं है जो पैदल चलने में असमर्थ हैं। फिर भी इन बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर अधीक्षिका द्वारा बीमार बच्चों के लिए कोई वाहन की व्यवस्था नहीं कर पाना लापरवाही को साफ दर्शाता है। इस संबंध में जिला समन्वयक विजेन्द्र राठौर ने कहा कि जिला मुख्यालय में वाहन की व्यवस्था नहीं की गई है, यह जिम्मेदारी अधीक्षिका की है।