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रोशनी की अहमियत : आजादी के 71 साल बाद मिली बिजली, कैंडल के सहारे लोग बिता रहे थे जिंदगी

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Dec 19, 2018

पुरुषोत्तम पात्रा - रोशनी जिंदगी में हो या फिर अंधेरे घरों में उसकी अहमियत का एहसास केवल उसी व्यक्ति को हो सकता है जिसकी जिंदगी या घर में अबतक रोशनी नही पहुंची है। बटन दबाकर बल्व चालू करता ये सख्स केशवनाथ और बल्व के सामने खडा चंदनसिंह आज कितने खुश है इसका अंदाजा लगा पाना शायद आप लोगो के लिए बहुत मुश्किल होगा, हो भी क्यों ना, आपके घर में यदि थोडी देर के लिए भी लाईट चली जाये और घर में अंधेरा हो जाये तो आपके लिए सहन करना मुश्किल हो जाता है मगर गरियाबंद जिले के बीहड जंगल में बसे गोना गॉव के केशवनाथ और चंदनसिंह के लिए चलता हुआ बल्व देखना किसी सपने के पुरा होने से कम नही है क्योंकि इनके गॉव में पहली बार बिजली पहुंची है आजदी के 71 साल इनकी जिंदगी और घरों में रोशनी आयी है, इससे पहले यहां के लोग कैंडल के सहारे अपनी जिंदगी बीता रहे थे।

गांव में बिजली लगने के बाद जश्न का माहौल

घरों में चलती लाईट देखकर ग्रामीण फुले नही समा रहे है, महिलाएं हो या स्कूली बच्चे सभी बिजली के आने से खुश है, स्कूली छात्रा योगेश्वरी मरकाम को देखकर तो ऐसा लगता है मानो भगवान ने उनकी कोई बडी मुराद पुरी कर दी हो, मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि अब वह किसी भी समय पढाई कर सकती है, रात हो या दिन जब चाहे लाईट की रौशनी में वे अपनी पढाई जारी रख सकती है, अब तो उन्होंने स्कूल के कबाडखाने में रखा कंप्यूटर निकालकर उस पर काम करना भी शुरु कर दिया है।

100 से अधिक घरों में अभी भी बिजली का आभाव

हालांकि शासन ने कुछ साल पहले यहां सोलर सिस्टम से बिजली पहुंचाने का काम किया था, गांव में सोलर सिस्टम भी लगाया गया, मगर देखरेख के आभाव में ग्रामीणों को इसका लाभ नही मिल पाया, अभी विद्युत विभाग ने गॉव के केवल 40 घरों में ही बिजली पहुंचायी है, जबकि 100 से अधिक घरों में अभी बिजली लगने का इंतजार है, बाकि बचे ग्रामीणों को भी अब जल्द ही अपने घरों में बिजली लगने की उम्मीद जताई है।