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आदिवासी बुजुर्ग पांच साल से अपनी हक की ज़मीन के लिए काट रहा कार्यालयों के चक्कर

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Aug 7, 2018

संतोष गुप्ता - एक 70 साल का बुजुर्ग आदिवासी पिछले पांच साल से अपने हक की जमीन का कब्जा पाने के लिये कार्यालयों का चक्कर काट रहा है लेकिन इस बुजर्ग की समस्या को हल करने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं हैं इन पॉच वर्षो में तहसील न्यायालय जषपुर में कई तहसीलदार की नियुक्ति हुई लेकिन इनमें से कोई भी तहसीलदार बुजुर्ग के जमीन का कब्जा नहीं दिला पाया जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर लोदाम गांव का रहने वाला बुजुर्ग सहुरन राम के 7 डिस्मील जमीन को उसके ही पड़ोस में रहने वाली श्रीमती गे्रस बेक कब्जा कर मकान का निर्माण करा ली है।

साल 2013 में हुआ था आदेष पारित

बुजुर्ग ने अधिवक्ता के माध्यम से जषपुर तहसील न्यायालय में केस दायर किया था जांच के बाद बुजुर्ग के पक्ष में फैसला आया और तात्कालीन तहसीलदार ने बुजुर्ग को कब्जा दिलाने का आदेष साल 2013 में पारित कर दिया पांच साल बाद भी बुजुर्ग को जमीन का कब्जा नहीं मिल पाया कब्जा पाने के लिये बुजुर्ग ने कलेक्टर जनदर्षन में भी कई बार आवेदन किया लेकिन यहां भी समस्या का हल नहीं हो पाया जमीन का कब्जा पाने की आस में 70 साल का बुजुर्ग सहुरन मंगलवार को एक बार फिर कलेक्टर जनदर्षन में कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला को आवेदन देते हुए जमीन का कब्जा दिलाने का गुहार लगाया है।

बुजुर्ग के पक्ष में फैसला मिलने के बाद भी नही मिली ज़मीन

जिले में ऐसे कई मामले हैं जिनका निराकरण नहीं हो पा रहा है लोगो का कहना है कि समस्याओं के हल के लिये प्रत्येक मंगलवार को जनदर्षन लगाया जाता है लेकिन यह जनदर्षन केवल नाम का है इसमे कुछ समस्याओ को छोड़कर अधिकतर समस्याओं का हल नहीं हो पाता है आदिवासी बुजुर्ग सहुरन राम का बोलना है कि तहसील कार्यालय जषपुर का चक्कर काट कर वह थक चुका है। पांच साल पहले तहसीलदार जषपुर के द्वारा उसके पक्ष में फैसला सुनाते हुए जमीन का कब्जा दिलाने का आदेष जारी हुआ था लेकिन पांच साल बाद भी उसे जमीन का कब्जा नहीं मिल पाया है आदिवासी बुजुर्ग का कहना है कि चार बार कलेक्टर जनदर्षन में भी आवेदन दे चुका है कलेक्टर जनदर्षन में भी उसे कोई लाभ नहीं मिला बुजुर्ग का कहना है कि कलेक्टर जनदर्षन में आवेदन का निराकरण नहीं होता यह मात्र दिखावे के अलावा कुछ नहीं।