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दुर्ग नगर निगम चुनाव में दोनों राष्ट्रीय पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों का किया ऐलान

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Dec 8, 2019

चंद्रकांत देवांगन : दुर्ग नगर निगम के चुनाव में दोनों राष्ट्रीय पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है लेकिन दोनों पार्टी में लम्बे समय से राजनीति में सक्रीय कार्यकर्ताओं की पार्टी ने अनदेखी करते हुए सिटिंग पार्षद और वार्ड में प्रबल दावेदारों का टिकट काटकर दूसरे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने का आरोप लगाया है। अब जिन कार्यकर्ताओं का टिकट काट गया है उन्होंने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का फैसला ले लिया है।

चुनावी मैदान में उतरी पार्टियां
दुर्ग नगर निगम में 60 वार्डों में दोनों राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशियों के साथ उनका सामना अपने ही पार्टी के बागियों से हो सकता है। 60 वार्डो में 13 भाजपा से और 8 कांग्रेस के निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में होंगे। भले ही पार्टी के बड़े नेता बागियों को मना लेने की बात कह रहे है पर बागी भी अपनी पार्टी को सबक सिखाने चुनावी मैदान में कमर कस चुके है। बीजेपी से बगावत  करने वाले वार्ड नंबर 21 के अरुण सिंह ने कहना है कि वार्डो में पिछले 5 सालो में कई विकास कार्य किये है जिनको वार्डो लोगो  ने तारीफ की है लेकिन मेरा कार्य बड़े नेताओ को नही दिखा दुर्ग जिले में एक बड़े नेता की ही चली है उन्होंने अपने चहेतो को पार्टी का टिकट दिया है। मैं दूसरों की तरह चापलूसी करना नही जानता इस वजह से दुर्भावनावश मेरा टिकट काट कर अपने खास को दिया गया है। 

बागियों की खुशामदी में जुटे दोनों पार्टियों के नेता
उन्होंने कहा कि मैं दुसरो की तरह उनके घर के दरवाजो में बैठकर उनके इशारे पर काम नही कर सकता भाजपा की विचारधारा की वजह से मैं पार्टी से जुड़ा हूँ और अंत तक उसी विचारधारा का हिस्सा रहूंगा। वही कांग्रेस पार्टी में भी सक्रीय राजनीति करने वाले कार्यकर्त्ता कांग्रेस पार्टी के प्रदेश सचिव विल्सन डिसूजा ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर वार्ड नंबर 8 तकिया पारा से निर्दलीय चुनाव लड़ने की ठान ली है। डिसूजा ने पार्टी के नेताओ पर आरोप लगते हुए कहा कि चयन समिति के सदस्यों और विधायक अरुण वोरा के चहेते और धनबल से खुश रखने वाले लोगो को टिकट दिया है। मैं 2 बार निर्दलीय पार्षद चुन कर आ चुका हूं लंबे समय से टिकट की मांग कर रहा हूँ कांग्रेस के लिए हर मोर्चे पर मैने अपनीं भूमिका निभाई है पर मुझे मौका न देकर पार्टी ने कार्यकर्ता के साथ अन्याय किया है, चुनाव में इसका परिणाम सामने होगा। बहरहाल दोनों ही पार्टी के बड़े नेता अब बागियों की खुशामदी में जुटे है और 9 तारीख नाम वापसी के पहले किसी भी लुभावने आश्वासन का उपयोग कर अपने बागियों को मनाने का दौर जारी हो चुका है।