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फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन स्क्रीन 'देविका रानी' : जन्मदिन विशेष

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Mar 30, 2018

हिंदी सिनेमा में दर्शकों के दिलों में अपनी खास पहचान बनाने वाली अभिनेत्रियां तो कई हुई है लेकिन देविका रानी का नाम आज भी इस लिस्ट में सबसे ऊपर आता हैं। आज के दौर में भले ही इंटीमेट सीन फिल्माना कोई नई बात नहीं हैं। लेकिन करीब 85 साल पहले इंटीमेट सीन देकर खासी सुर्खियों में छाई रहीं। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर आइए एक नजर डालते है 
देवका का करियर
देविका रानी का जन्म 30 मार्च 1908 को आंध्रप्रदेश के वाल्टेयर नगर में हुआ था। महज नौ वर्ष की उम्र में देविका रानी शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैंड चली गई। पढ़ाई पूरी करने के बाद देविका रानी ने फिल्मों में अभिनय करने का फैसला लिया लेकिन उनके लिए ये करना इतना आसान नहीं था उनके परिवार वाले इस बात के सख्त खिलाफ थे क्योंकि उन दिनों संभ्रान्त परिवार की लड़कियों को फिल्मों में काम नहीं करने दिया जाता था।
इसके बाद उनकी मुलाकात सुप्रसिद्ध निर्माता हिमांशु राय से हुई। हिमांशु राय देविका रानी की सुंदरता पर मुग्ध हो गये और उन्होंने देविका रानी को अपनी फिल्म कर्म में काम देने की पेशकश की जिसे देविका ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

फिल्मी सफर की शुरूआत में दिया बॉल्ड सीन 
हिमांशु राय ने जब वर्ष 1933 में फिल्म कर्म का निर्माण किया तो उन्होंने नायक की भूमिका स्वयं निभाई और अभिनेत्री के रूप में देविका रानी का चुनाव किया। कर्म में देविका रानी ने हिमांशु राय के साथ एक बोल्ड सीन देकर लोगों को अंचभित कर दिया था। इस फिल्म देविका और हिमांशु के बीच का एक किस सीन खासा विवादों में रहा था। बता दें कि इस फिल्म में फिल्माया जाने वाला चुंबन दृश्य उस दौर का सबसे लंबा चुंबन दृश्य था। 4 मिनट के इस किसिंग सीन के कारण देविका को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। 

बॉम्बे टॉकीज बैनर की हुई स्थापना 
हिमांशु राय ने देविका रानी से शादी कर ली और मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद हिमांशु राय और देविका रानी ने मिलकर बॉम्बे टॉकीज बैनर की स्थापना की और फिल्म जवानी की हवा का निर्माण किया। वर्ष 1935 में प्रदर्शित देविका रानी अभिनीत यह फिल्म सफल रही। बाद में देविका रानी ने बांबे टॉकीज के बैनर तले कई फिल्मों में अभिनय किया।

अछूत कन्या से बनाई विशेष पहचान
इन फिल्मों में से एक फिल्म थी अछूत कन्या। वर्ष 1936 में प्रदर्शित इस फिल्म में देविका रानी ने ग्रामीण बाला की मोहक छवि को रूपहले पर्दे पर साकार किया और अपने अभिनय से दर्शको को अपना दीवाना बना दिया। सामाजिक पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म काफी पसंद की गई और इस फिल्म के बाद देविका रानी फिल्म इंडस्ट्री में ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर हो गई।

फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन स्क्रीन 
अछूत कन्या के प्रदर्शन के बाद देविका रानी फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन स्क्रीन की उपाधि से सम्मानित किया गया। इन सम्मानों से देविका रानी के बारे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस दौर में वह कितनी लोकप्रिय रही होंगी। देविका रानी ने रुपहले पर्दे पर कई फिल्मों में काम किया जिनमें इज्जत,सावित्री, निर्मला आदि फिल्में शामिल हैं। 
 
हिमांशु राय की आकस्मिक मौत से टूटी देविका 

वर्ष 1940 में हिमांशु राय की आकस्मिक मौत के बाद देविका रानी ने बांबे टॉकीज को अपने सहयोगियो की मदद से चलाया और कई फिल्मों का निर्माण भी किया। इसके बाद वर्ष 1945 में देविका रानी बांबे टॉकीज से अलग हो गई। पति की मौत और बांबे टॉकीज को छोडऩे के बाद देविका रानी लगभग टूट सी गयी थी। इस बीच उनकी मुलाकात रूसी चित्रकार स्वेतोस्लाब रोरिक से हुई। बाद में देविका रानी ने उनसे विवाह कर लिया और फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया। 
दादा साहब फाल्के पुरस्कार की प्रथम विजेता
फिल्म इंडस्ट्री में उत्कृष्ट योगदान देने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 1969 में जब दादा साहब फाल्के पुरस्कार की शुरूआत की तो इसकी सर्वप्रथम विजेता देविका रानी बनी। इसके अलावा देविका रानी फिल्म इंडस्ट्री की प्रथम महिला बनी जिन्हें पदमश्री से नवाजा गया। देविका रानी 09 मार्च 1994 को इस दुनिया को अलविदा कह गई।