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इस ग्राम पंचायत में पौध रोपण के नाम पर फूंके गए लाखों रुपये

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Jan 5, 2018

जबलपुर। प्रदेश सरकार लगातार गरीब ग्रामीणों के लिए कई योजनायें चला तो रही है, लेकिन उन योजनाओ का लाभ स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कारण गरीब आदिवासी ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। दरअसल जबलपुर जनपद में आने वाली निर्मल ग्राम पंचायत मनकेडी के ग्रामीण आज के इस दौर में भी अपनी मूलभूत सुविधाओ के लिए मोहताज हैं। क्योकि जिन सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है, हमारी स्वराज एक्सप्रेस की टीम ने जब निर्मल ग्राम पंचायत मनकेडी का दौरा किया तो वहाँ चारो और फैली गंदगी के साथ कई मामले सामने आयें, साथ ही स्थानीय गरीब महिलाओ और पुरूषों ने अपने सरपंच धर्मेन्द्र सिंह, सहायक सचिव रोहिणी झारिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया की निर्मल ग्राम पंचायत मनकेडी की निस्तारी जमीन पर सरपंच ने जबरदस्ती हजारो पौधे रोप कर उसकी कटीले तारो से फेंसिंग करवा दी जिससे हम सभी लोगो का निस्तार नहीं हो पा रहा है। और हमारे जो मवेशी है उन्हें भी पानी और चरने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। क्योकि जहां पर कटीले तारो की फेंसिंग लगाईं गई थी उसी के पीछे एक बरसाती नाला बहता है और ग्राम के सभी मवेशी उसी नाले से पानी पीते है। और जो पौधे सरपंच ने लगवाए थे उनकी देख भाल ना होने के कारण 90% पौधे सूख चुके है इतना ही नहीं सरकारी जमीन पर जहां पौधे लगाये गए थे उसी सरकारी जमीन पर सहायक सचिव रोहिणी झारिया ने अपना अवैध कब्जा कर एक पोल्ट्री फार्म का निर्माण के साथ साथ बाकी जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया है, पौधो की सुरक्षा के लिए जो फैंसिंग की गई थी उसे उखाड़ कर रोजगार सहायक रोहिणी झारिया के पोल्ट्री फार्म की सुरक्षा के लिए कड़ी कर दी गई है इसके साथ साथ जहा पर पोल्ट्री फार्म का निर्माण किया गया है ठीक उसके पीछे एक पहाड़ को खोदकर उसकी मिट्टी और मुरम को टैक्टर ट्राली की मदद से बेचा भी जा रहा है। इस ग्राम पंचायत में पौध रोपण के नाम पर लाखो रुपये तो फूंके ही गए साथ ही इसकी आड़ लेकर शासकीय जमीन पर कब्ज़ा का सिलसिला भी सरपंच महेंद्र सिंह ठाकुर और रोजगार सहायक रोहिणी झारिया द्वारा शुरू कर दिया गया है, गाँव के कमलेश यादव को प्लांटेशन के नाम पर लगभग आधा एकड़ शासकीय भूमि पर कब्ज़ा करवा दिया गया है वही खुद रोहिणी झारिया ने डेढ़ एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया है। इस तरह के अनेक प्रकरण है जो सरपंच और रोजगार सहायक की मिली भगत की कहानी बयां करते है, वहीं स्वछता के मामले में भी मनकेड़ी ग्राम पंचायत काफी पीछे है वहां की महिलाओं का साफ़ तौर पर कहना है कि कोई अज्ञात महिला अधिकारी जब शौचालय के निरिक्षण पर ग्राम पहुंची तो उसने ग्रामीणों से कहा की गड्ढे में करो और कागज से पोछो। इतना ही नहीं स्थानीय सरपंच महेंद्र सिंह ने ग्राम के ही एक बुजुर्ग से पट्टा दिलाने के नाम से पांच हजार रुपये भी ले लिए लेकिन उस बुजुर्ग को आज तक पट्टा नहीं मिला है।