Loading...
अभी-अभी:

निजी स्कूल के तर्ज पर मप्र के सरकारी स्कूल में होगा सुधार

image

Jun 17, 2017

खंडवा : शिक्षा में सुधार के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रतिबध है। अब सरकारी स्कूल के तर्ज पर निजी स्कूलों में भी शैक्षिक योग्यता के अनुसार शिक्षकों का चयन किया जाएगा। साथ ही सरकार ने अतिथि शिक्षकों पर भी रियायत देने का विचार बना रही है। शिक्षक बनने के लिए शिक्षक संबंधित डिग्रियां जरूरी हैं। बीएड व डीएड वाले सरकारी शिक्षक लगभग सभी शासकीय स्कूलों में हैं। लेकिन निजी स्कूलों में यह व्यवस्था लागू अभी नहीं हो पायी है। मध्यप्रदेश का शिक्षा मंत्रालय केंद्र सरकार से इस मसले में निजी स्कूल वालों के लिए कुछ मोहलत दी है।

लेपटॉप के अावेदन की तारीख बढ़ी

स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने पत्रकारों को बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शिक्षा को विकास की धुरी में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी मानते हैं। अब केवल एससी और एसटी के विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि सभी मेधावियों के लिए लेपटॉप योजना लाया जा रहा है। इसमें खंडवा जिले के 384 बच्चों को लेपटॉप के लिए 20 हजार रुपए सीधे खाते में जमा कराए जाएंगा। इसमें एससी व एसटी के बारहवीं में 75 प्रतिशत और सामान्य वर्ग तक के 85 प्रतिशत अंक लाने वालों को यह राशि दी जाएगी। इसके लिए पहले 15 जून अंतिम तिथि रखी गई थी, लेकिन अब आवेदन की तिथि बढ़ाकर 20 जून कर दी गई है। संभागीय स्तर के अधिकारी इससे आगे भी आवेदन ले सकते हैं ताकि कोई मेधावी छात्र छूट न जाएं।

पालकों को दिया जाएगा तिरपाल से बना झोला

विजय शाह ने बताया कि मध्यप्रदेश को मुख्यमंत्री चौहान पर्यावरण वाला प्रदेश बनाना चाहते हैं। पौधारोपण व मां नर्मदा को स्वच्छ रखने के लिए कई उपाय किए गए हैं। अब शिक्षा विभाग भी इसमें सहभागिता निभाएगा। इसके लिए खंडवा जिले को माडल बनाया जा रहा है। करीब 5 लाख मजबूत तिरपाल वाले झोले बनवाए जाएंगे। इसमें प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के साथ शिक्षामंत्री का फोटो व सरकार की योजनाएं छापी जाएंगी। इन्हें सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पालकों को दिए जाएंगे, ताकि वे बाजार जाएं और पॉलीथीन घर लेकर न आएं। बच्चे भी अपने पालकों को हिदायतें देंगे कि पॉलीथीन का उपयोग उनके माता पिता न करें।

सरकारी स्कूलों में होगी हर माह पैरेंट्स मीटिंग

अब निजी स्कूलों के तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी पैरेंट्स मीटिंग हर माह अनिवार्य कर दी गई है। नए शिक्षा सत्र से इस मसले पर नियम बना दिये गए हैं। यदि तीन बैठक में पालक उपस्थित नहीं होते हैं। या फिर ठोस कारण नहीं बताते हैं तो उस बालक का स्कूल से नाम काटने का प्रावधान रखा जा सकता है। विजय शाह ने कहा कि पालक भी शिक्षक के साथ जिम्मेदार बनें। सरकार के साथ उनकी भी जिम्मेदारी तय होगी कि वे भी अपने बच्चे के कैरियर में सहभागिता निभाएं। विजय शाह ने बताया कि जिस तरह बच्चों को 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक के लिए प्रोत्साहित कर मेहनत करवाई जाती है। उसी तरह अब शिक्षकों का भी रिपोर्ट कार्ड बनवाया जाएगा। इसमें 70 प्रतिशत शिक्षक की उपस्थिति नहीं रही तो उन पर कारण के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।